जन्म जन्मन्तरों के पुण्य उदय होने पर मिला मनुष्य शरीर-संत पंकज महाराज

जन्म जन्मन्तरों के पुण्य उदय होने पर मिला मनुष्य शरीर-संत पंकज महाराज

 

 

डॉ0कल्पराम त्रिपाठी ब्यूरो चीफ गोण्डा

 

गोण्डा।जीते जी प्रभु प्राप्ति का सुलभ रास्ता बताने वाले परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी एवं जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत पंकज जी महाराज वर्तमान में 108 दिवसीय जनजागरण यात्रा लेकर देवीपाटन मण्डल के बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर जिलों में सत्संग सन्देश सुनाते हुये कल सायंकाल अपनी यात्रा के 90वें पड़ाव पर गोण्डा जिले में परसपुर ब्लाक के पसका मेला मैदान पधारे।

अपने सत्संग सम्बोधन में संस्थाध्यक्ष ने कहा कि प्रेमी भाई-बहनों! ईश्वर ने जन्म-जन्मान्तरों के पुण्य उदय होने पर बड़ी कृपा करके हमको आपको यह मनुष्य शरीर दे दिया। हमको कर्म करने की आजादी दे दी। अच्छा करो या बुरा। जो भी आप कर्म करोगे उसका फल भी आपको भोगना पड़ेगा। अच्छे कर्म से स्वर्ग, बैकुण्ठ व अन्य मण्डलों की प्राप्ति और बुरे कर्मों से नर्क व चौरासी की सजा भोगनी पड़ेगी। ‘‘लौह के खम्भ तपत के मांही, जहाँ जीव को ले चिपटाहीं।’’ का दृश्य महात्मा जब साधना करके ऊपरी मण्डलों में जाते हैं तो देखते हैं, तो जीवों को चेताने के लिये भ्रमण करते रहते हैं। आप उस सजा से बचना चाहते हैं तो भजन करें। भजन गाने-बजाने का नाम नहीं। ऊपरी मण्डलों से आने वाली धुनों को, आकाश वाणियों को जीवात्मा के कान से सुनना ही असली भजन है और इसका भेद जगे हुये महात्मा-संत ही बता सकते हैं। इसकी तीन क्रियायें हैं पहला-सुमिरन, दूसरा-ध्यान और तीसरा भजन। उन्होंने आम जन को भजन करने की युक्ति बताकर विधिवत् समझाया।

महाराज जी ने शाकाहारी रहने की अपील करते हुये कहा कि यदि आप पशुओं का मांस सेवन करेंगे तो उनके शरीर की बीमारी के कीटाणु आप के मानव तन में प्रवेश कर जायेंगे जिसके फल स्वरूप तरह-तरह की बीमारी होना अवश्यम्भावी है। हिंसा का पाप अलग से लगेगा। बुद्धिनाशक शराब आदि नशों से भी परहेज करने की पुरजोर अपील किया।

उन्होंने आगामी 8 से 12 दिसम्बर तक जयगुरुदेव आश्रम, मथुरा में आयोजित वार्षिक भण्डारा सत्संग मेला में भाग लेने का निमन्त्रण दिया। आयोजन में पुलिस प्रशासन का सहयोग रहा।

इस अवसर पर धर्मराज, मुन्ना शुक्ला, पिंकू सिंह प्रधान, बागस्वामी राघवेन्द्र प्रताप सिंह, गिरीश शुक्ला, छींटन यादव, सहयोगी संगत कौशाम्बी से काशी प्रसाद, ज्ञानचन्द, वीरेन्द्र कुमार, कुबेर सिंह आदि उपस्थित रहे।

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