सरयू व घाघरा नदी के संगम तट श्रद्धालुओं व साधू संतो ने लगाया डुबकी।

सरयू व घाघरा नदी के संगम तट श्रद्धालुओं व साधू संतो ने लगाया डुबकी।

डॉ0कल्पराम त्रिपाठी
ब्यूरोचीफ गोण्डा

एंकर- पुराणों में लघु प्रयाग के नाम से जाना जाने वाला गोंडा का पसका जिसे शुकर क्षेत्र भी कहते हैं यही पर विष्णु भगवान ने हिरणवक्ष को मारने के लिए बारह  भगवान का अवतार लिया था यही से दो किलोमीटर दूर मैलाकोट गांव में हिरणवक्ष का वध किया था और मारने के बाद यही पर आकर इस नदी में स्नान किया था तुलसीदास जी ने भी अपनी रामायण में यह स्थान का तिरमोहनी  के रूप में उल्लेख किया है जिसके बाद से यहां पर हर साल के पौष मास की पूर्णिमा तिथि के स्नान को लघु प्रयाग का स्नान कहां जाता है।

वी०ओ०1-गोंडा मुख्यालय से 36 किलोमीटर दूर सरयू नदी के किनारे स्थित पसका जहां पर  सरयू और घाघरा नदी का संगम हुआ है यहीं पर पौष मास की पूर्णिमा तिथि को लगता है पसका का मेला जिसे लघु प्रयाग भी कहा जाता है यहीं पर भगवान विष्णु ने 12 रूप के अवतार लेकर  हिरणवक्ष का वध किया था और यही पर तुलसीदास की भी जन्म स्थली है इस पूर्णिमा तिथि का इसलिए महत्व है क्योंकि इसी दिन बारह भगवान ने हिरणवक्ष को मारा था

वीओ 3:- यहाँ पर लाखों लोग की संख्या में दूर दूर से आते है और पूर्णिमा के दिन स्नान करते है । हजारो की संख्या में कल्पवासी एक महीने पहले से आकर नदी के किनारे कल्पवास  करते है ।लोगों का मानना है कि इस दिन इस नदी में स्नान करने से सारे पाप धुल जातर है और प्रयाग के स्नान के बराबर पुण्य मिलता है ।

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