#सम्राट_पृथ्वीराज_चौहान
प्राचीन काल मे सूर्यवंश मे चव्हाण या चौहान नाम के प्रतापी राजा हुये,इन्ही के वंशज चौहान कहलाते है |
सम्राट पृथ्वीराज चौहान के इतिहास को अगर हमे समझना है तो कम से कम सम्राट अर्णोराज चौहान के इतिहास से समझना होगा | वही सम्राट अर्णोराज चौहान जिनके नाम से अनोसागर झील (अजमेर) है | कहते है सम्राट अर्णोराज चौहान ने इस स्थान को तुर्को के रक्त से लबालब कर दिया था |
“सल्तनत काल मे हिन्दू प्रतिरोध” को बनारस हिन्दू विश्वविधालय की पीएचडी करने के लिए स्वीकृत पुस्तक है – उसके पृष्ठ संख्या ७३ मे लिखा है कि सम्राट अर्णोराज चौहान के समय गजनी के सुल्तान बहरामशाह ने आक्रमण कर दिया | वर्तमान मे जहाँ अनोसागर बाँध है, यही मुकाबला हुआ एवं चौहानो की सेना ने अजमेर को तुर्को के रक्त से लबालब कर दिया |
सम्राट अर्णोराज चौहान ने जहां तुर्को को परास्त किया वही इनका देशी राजाओ से संघर्ष खत्म नही हुआ | कहते है सम्राट अर्णोराज चौहान ने तोमरो से दिल्ली छीनकर चौहान साम्राज्य को उसके स्वर्णिम युग में पहुँचा दिया |
चौहानो की बढ़ती शक्ति देख उस समय के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक गुजरात के चालुक्य नरेश जयसिंह सिद्धराज सौलंकी ने चौहानो पर आक्रमण किया,आबू पर्वत के निकट यह युद्ध लड़ा गया | चालुक्य चौहानो को खदेङते हुए अजमेर तक पहुंच गये, अजमेर की प्राचीर मजबूत होने के कारण अजमेर की रक्षा हो पाई, अन्त में सन्धि हुई और यह सन्धि रिश्तेदारी के रूप में हुई | राजा जयसिंह सिद्धराज सौलंकी की पुत्री का विवाह सम्राट अर्णोराज चौहान से कर दिया गया | रिश्तेदारी के कारण अब चौहान एवं चालुक्य राजनीतिक मित्र भी थे क्योंकि सम्राट जयसिंह सिद्धराज सौलंकी को मालवा जीतना था,सम्राट अर्णोराज चौहान की सेना की मदद से मालवा के राजा यशोवर्मन चन्देल को परास्त किया जा सकता था ओर ऐसा हुआ भी,मालवा पर चालु�