पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर दी गई श्रद्धांजलि
पंडित दीनदयाल उपाध्याय चुनाव हार गए पर नहीं स्वीकारा जातिवादी हथकंडा: हरिश्चंद्र सिंह
जौनपुर : भारतीय जनता पार्टी जौनपुर में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर खरका कॉलोनी में स्थित पंडित दीनदयाल उपाध्याय के प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनकी जयंती मनाई गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता और संचालन नगर दक्षिणी के मण्डल अध्यक्ष अमित श्रीवास्तव और मुख्य अतिथि भाजपा के जिलाध्यक्ष पुष्पराज सिंह रहे और संयोजक जिला मंत्री उमाशंकर सिंह रहे। वहा पर उपस्थित भाजपा कार्यकताओं ने उनके प्रतिमा पर माल्यार्पण कर एवं पुष्पांजलि अर्पित कर दी श्रद्धांजलि। माल्यार्पण के उपरान्त एक संगोष्ठी आयोजित की गई जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुये पूर्व जिलाध्यक्ष हरिशचंद्र सिंह ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने गौरवशाली राष्ट्रनिर्माण के लिए सिर्फ 21 वर्ष की अवस्था में वह संघ के प्रचारक बने थे 1942 में उन्होंने अपने चाचा को पत्र लिखा था, ईश्वर ने हमारे परिवार को सब कुछ दिया क्या हम अपने परिवार का एक सदस्य भी राष्ट्र की सेवा के लिए अर्पण नही कर सकते?
उन्होंने आगे कहा कि पण्डित दीनदयाल ने यह सब सिर्फ पत्र में ही नही लिखा था बल्कि उसे जीवन में पूरी दृढ़ता से उतारा भी था उन्होंने सारी निजी महत्वाकांक्षाओं को तिलांजलि देकर राष्ट्रयज्ञ में सम्मिलित हुए जो बोला और कहा वह जिया। लखनऊ-पटना की 11 फरवरी 1968 की रेल यात्रा ने उनकी जीवन यात्रा पर पूर्ण विराम लगा दिया। उनका शव मुगलसराय की रेल लाइन पर मिला उन जैसे संत का कोई कैसे शत्रु हो सकता था? उनकी मृत्यु की गुत्थी कभी नही सुलझी।
उन्होंने जौनपुर के उप चुनाव को याद करते हुये कहा कि जौनपुर का उपचुनाव अलग कारणों से भी याद किया जाता है पण्डित जी जौनपुर का उपचुनाव जरूर हार गए थे लेकिन हारकर भी उनका कद और बड़ा हो गया था। 1962 में जनसंघ के ब्रह्मजीत सिंह इस सीट पर जीते थे दुर्भाग्य से उनका जल्दी ही निधन हो गया कांग्रेस ने राजदेव सिंह को उम्मीदवार बनाया था पूर्वांचल का चिरपरिचित जातिवादी चुनावी हथकंडा प्रचार में असर दिखा रहा था संभावनाएं उजली करने के लिए ठाकुरवाद के जबाब में ब्राह्मणों को उकसाने की जरूरत थी दीनदयाल को ऐसी कोशिशों की जैसे ही जानकारी मिली, उन्होंने तीव्र प्रतिवाद किया और समर्थकों को सचेत करते हुए उन्होंने कहा था, आपने ऐसा किया तो मैं चुनाव मैदान से हट जाऊंगा उनके राजनीतिक जीवन का यह इकलौता चुनाव था असलियत में दीनदयाल चुनाव लड़ने के इच्छुक नही थे संगठन के आदेश पर चुनाव लड़ने को मजबूर हुए थे। उन्होंने प्रचार में राष्ट्रीय मुद्दों को उठाते रहे चुनाव हार गए हार की खबर मिलते ही सबसे पहले विजयी राजदेव सिंह को बधाई दी उसी शाम मतदाताओं के प्रति आभार प्रदर्शित करने के लिए सभा की चुनावी वास्तविकताओं को किनारे करते हुए दीनदयाल का प्रचार अभियान नीतियों-नैतिकता पर आधारित रहा नतीजा उनके खिलाफ था पर एक नजीर के तौर पर वह चुनाव आज भी याद किया जाता है। फर्रुखाबाद और अमरोहा लोकसभा सीट के साथ ही उपचुनाव हुए थे फर्रुखाबाद से डॉक्टर राम मनोहर लोहिया, अमरोहा से आचार्य कृपलानी चुनाव लड़ रहे थे। कांग्रेस के खिलाफ गैर कांग्रेसी चुनावी गठबंधन का यह पहला प्रयोग था लोहिया ने इस चुनाव में जौनपुर में चार सभाएं की थीं जनसंघ ने फर्रुखाबाद, अमरोहा में लोहिया-कृपलानी का खुलकर साथ दिया था।
उन्होंने आगे कहा कि ग्वालियर चिंतन शिविर में उन्होंने अपनी मशहूर “एकात्म-मानववाद” की अवधारणा पेश की उन्होंने व्यक्ति-समाज के भीतर शांति-सदभावना पैदा करने पर जोर दिया। उन्होंने ऐसे भारत की कल्पना की थी, जो अपने अतीत की यशोगाथाओं से भी अधिक गौरवशाली होगा।
उक्त अवसर पर जिला महामंत्री अमित श्रीवास्तव रविन्द्र सिंह राजू दादा पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव राम सिंह मौर्या नीरज सिंह भूपेन्द्र सिंह श्याम मोहन अग्रवाल आमोद सिंह विष्णु सिंह विपिन सिंह नंदलाल यादव आशीष गुप्ता वसंत प्रजापति सतीश सिंह त्यागी सुरेन्द्र जायसवाल मनोज तिवारी नीरज मौर्या विमला श्रीवास्तव अंजू कुशवाहा राजेश गुप्ता राकेश श्रीवास्तव संजीव सिंह जगमेन्द्र निषाद आदि उपस्थित रहे।