*सैनिक प्राइवेट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा सीधी जिले में रेत का कारोबार कर रही है लेकिन गरीबों के साथ अत्याचार ही कर रही है जिसका जीता जागता प्रमाण आप भी सुन सकते हैं*
*सीधी जिले के निधिपुरी रेत खदान पर रेत निकालने के लिए किसानों की जमीन को जबरदस्ती बनाई गई रोड वहीं दूसरी तरफ किसानों के मना करने के बावजूद भी मौजूद दलालों द्वारा एवं ठेकेदार द्वारा किसानों को जान से मारने की दी जा रही धमकी सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर किसानों के द्वारा प्रशासन के पास आवाज उठाकर न्याय की गुहार लगाने पर आखिर किसानों को क्यों नहीं मिलता न्याय क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री साहब ने किसानों के साथ अत्याचार करने के लिए रेत खदान का ठेका कंपनियों को दिया गया कि गरीबों की जमीन को जबरदस्ती आतंक फैलाकर बिजनेस किया जाए अपनी जमीन बचाने के लिए किसान दर-दर भटक रहा लेकिन प्रशासन की आंखों में पट्टी बंधी हुई है कहीं ना कहीं अधिकारी भी अपने बाप के बेटे हैं उनका भी घर होगा उनकी भी जमीन होगी कोई अगर अचानक आपकी जमीन हथिया ले आपको मालूम ना पड़े तब आप क्या करेंगे उसके लिए लड़ाई लड़ेंगे लेकिन उसी बीच तीसरा व्यक्ति आकर जबरजस्ती आपकी जमीन से कालाबाजारी करना चालू कर दें कि मध्यप्रदेश शासन का काम है और आप की जमीन को रौंदता हुआ जाता है और आपकी जमीन का दाम किसी और अन्य दलाल को मिलता रहे तब आप कितना बर्दाश्त कर पाएंगे यह भी सोचने वाली बात है माननीय जिले के समस्त अधिकारियों से अनुरोध है अगर आपके पास मानवता है आपने कानून की किताब पढ़ी है ईश्वर ने आपको ताकत दी है तो गरीबों की मदद करना सीखिए लोगों की बात सुनना सीखिए दुनिया में पैसे तो सब कमाते हैं लेकिन विश्वास भरोसा और मदद कोई काम आता है इसलिए मैं आपको यह बात निधपुरी रेत खदान के मूसामुड़ी की बात कर रहा हूं जहां 2011 में आर्यन कंपनी ने 1200 एकड़ जमीन की ठगी करने की कोशिश कर फर्जी तरीके से अपने नाम कराया और वादा किया कि एक घर से एक व्यक्ति को नौकरी देंगे 5 साल का एग्रीमेंट किसानों के साथ किया गया लेकिन ना ही कंपनी लौटी नाही एग्रीमेंट लौटा ना ही नौकरी मिली ना ही लोगों ने मुआवजा लिया और अपने जमीन दूसरे के नाम जाने पर न्यायालय का दरवाजा खटखटा कर गुहार लगाई अभी भी जमीन का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन चल रहे हैं अब सैनिक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने अपना कब्जा जमाने की कोशिश कर रही है गरीब किसानों की जमीन पर कर रही है दिन भर में 1000 से ऊपर वाहन गरीब किसानों की जमीन से होकर गुजरते है लेकिन एक रुपए के लिए गरीब किसान मोहताज अपने जमीन में गाड़ी ना जाने देने को लेकर जब आवाज उठाते हैं तो पुलिस फोर्स इस तरह पहुंचती है लगता है कितना बड़ा बलवा हो गया है किसी का मर्डर हो जाए किसी का एक्सीडेंट हो जाए किसी के घर में लाठी चल जाए तब पुलिस नहीं पहुंचती लेकिन रेत खदान के गाड़ियों को रोक दो अपनी जमीन में ना जाने दो पुलिस आगे आ जाती और पुलिस कहने लगती कि हम आपको बेड देंगे मुकदमा कायम कर देंगे रेत खदान की गाड़ियां जाने दो आपकी जमीन नहीं है तब गरीब किसान क्या करें पुलिस विभाग इतना कानून जानता है कि आईपीसी और सीआरपीसी में कितनी धारा आम आदमी नहीं जानता वर्दी का रौब दिखाकर किसी को दबाना किसी को फसाना किसी को चबाना पुलिस के रौब में है*…..
*जिले में बैठे आला अधिकारी श्रीमान कलेक्टर महोदय श्रीमान पुलिस अधीक्षक महोदय आपसे विनम्र अनुरोध है एक सामाजिक कार्यकर्ता और अपने परिवार अपने समाज की जमीन को बचाने के लिए आपके यहां 1 हफ्ते पहले आवेदन देकर सूचना दी गई थी मूसामूडी में किसानों की जमीन से जबरदस्ती रेत की गाड़ियां निकाली जा रही है लेकिन आज तक कोई सुनवाई आपके द्वारा श्रीमान जी नहीं की गई ना ही किसी अधिकारियों को निर्देश दिए गए अगर किसान गाड़ी रोकता है नहीं जाने देता तो पुलिस बल पहुंचता है और किसान के साथ गाली गलौज और मुकदमा कायम करने की धमकी देता है आपसे विनम्र अनुरोध है कि अगर किसानों को प्रताड़ित किया जाएगा तो किसान आत्महत्या भी कर सकते हैं क्योंकि उस जमीन में 50 से 60 वर्ष एवं दमा के किसान हार्टअटैक के किसान की जमीन पड़ी हुई है जो कि केवल एक मात्र सहारा है एक बार कंपनी ने लूटा अब रेत खदान ना लूटे इसलिए श्रीमान जी आप लोग किसानों की हमारी मदद करें यही हम आशा और विश्वास आपसे रखते हैं*
*आप सब से विनम्र अनुरोध है कि किसानों की मदद की जाए और रेत खदान के ठेकेदारों को हिदायत देकर गाड़ियों को बंद कराया जाए जिले से लेकर ब्लॉक तक हर विभाग को आवेदन किसानों के द्वारा दिया जा चुका लास्ट चारा उनके पास अब भूख हड़ताल एवं चक्का जाम बचा है माननीय महोदय से निवेदन है कि यह मामला छोटा नहीं गरीबों की जमीन का है इस जमीन मे प्रधानमंत्री रोड का निर्माण कार्य नहीं कराना चाहते जहां किसानों ने मीडिया के जरिए प्रशासन से लगाई है गुहार वीडियो बयान विजुअल सब आपके सामने*✍️🙏🙏🙏
*समाजसेवी पत्रकार अमित मिश्रा इलेक्ट्रानिक एवं प्रिंट मीडिया*