गोण्डा में बाढ़ ने मचाया तांडव ले गए ग्रामीनों को हमसफर बना के।
डॉ0कल्प राम त्रिपाठी
खबर यू पी के गोंडा घाघरा व सरयू नदी उफान पर हैं. जिसकी वजह से तरबगंज और कर्नलगंज तहसील क्षेत्र में नदी के किनारे बसे लगभग 156 गांव और 70हजार की आबादी प्रभावित है. लोग पलायन करने को मजबूर हैं, जिन राज्य मार्गों पर घोड़ा गाड़ियां दौड़ती थी अब वहां नाव और दौडती नजर आ रही है. लोग पानी में रहने को मजबूर हैं. दोनों तहसीलों में बाढ़ की वजह से नावें लगा दी गई हैं. जिला प्रशासन का दावा है लोगों की सहायता के लिए 24 बाढ़ चौकियां सक्रिय है. पीड़ितों को राहत सामग्री और त्रिपाल बांटी जा रही है. लेकिन हकीकत कुछ और है आइए सुनते है ग्रामीण की जुबानी गोंडा में घाघरा और सरयू नदी का जलस्तर खतरे के निशान से काफ़ी ऊपर चला गया है जिसकी वजह से तरबगंज व कर्नलगंज के 50 गांव नदी के धारा में तब्दील हो गए हैं. लोग आने जाने के लिए नाव का सहारा ले रहे हैं. जलमग्न सड़कों पर अब नाव दौड़ रही हैं. लिंक मार्ग का नामो निशान ख्त्म हो गया है बे मौसम बारिश वा ।
नेपाल के पहाड़ों पर होने वाली बारिश के बाद घाघरा नदी में लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने के से घाघरा नदी का जलस्तर खतरे के निशान से 125 सेंमी ऊपर हो गया है. ऐसी स्थिति में गोंडा जिले की करनैलगंज व तरबगंज तहसील के कई गांव के घरों में बाढ़ का घुस गया है. जिससे ग्रामीणोंं की जिंदगी अस्त व्यस्त हो गई है. लोग पलायन को मजबूर हो गए हैं. वहीं प्रशासन बाढ़ पीड़ितों के लिए हर संसाधन मुहैया कराने की बात कह रहा है लेकिन ग्रामीणों के अनुसार वो नाकामी नजर आ रहा है.
रफ्तार मीडिया के टीम के सर्वे के अनुसार महंगूपुर चौघड़िया साखी पुर दत्तनगर ऐली परसोली देवता माझा कंचनपुर तुलसी पुर माझा आदि गांवों की सभी फसले धान,अरहर, गन्ना, गोभी, सेम, आदि नष्ट होते नजर आ रहे हैं*
अब देखने की बात है कि पूर्वजों कब का है कहावत था कि विपत्ति के समय राजकोष खोल देना चाहिए लेकिन आप उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बाढ़ क्षेत्रों के गरीब किसान वर्ग के लोगों की कितनी मदद करते हैं।
प्रशासन के दावों की खुली पोल
गांवों में आई बाढ़ ने न सिर्फ ग्रामीणों के जीवन में दुश्वारियां उत्पन्न कर दी हैं बल्कि प्रशासन के इंतजामों को भी लापरवाही साबित कर दिया है. घाघरा नदी के पानी ने तुलसीपुर माझा, ऐली परसोली सहित कई गांवों को अपनी आगोश में ले लिया है. गोंडा जिले में जब भी बाढ़ आई है तो अगस्त के आखिरी महीने की या अक्टूबर के महीने में ही आई है. हालांकि बाढ़ को लेकर इस बार प्रशासन में काफी तैयारियां की थी लेकिन गांव में पानी के आने के बाद उन तैयारियों की पोल खुलती नजर आ रही है. बाढ़ से बचाव के लिए प्रशासन में एक नए बांध का निर्माण कराया था वह भी ग्रामीणों को बाढ़ के दंश से नहीं बचा सके।
गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन राजमार्ग तक ही आता है गांव में कोई हमला अप्सरान कुछ व्यवस्था देने की बात कौन कहे हाल भी पूछने के लिए नहीं आ रहे हैं यह गोंडा जनपद के प्रशासनिक व्यवस्था जबकि उत्तर प्रदेश सरकार बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में हर प्रकार की व्यवस्था करने में पड़ी पूरा-पूरा भरसक प्रयास की जा रही है।
बाइट डीएम गोण्डा उज्ज्वल कुमार
बाइट ग्रामीण
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