*विद्युत विभाग की मनमानी अपडेट*
*काम कर रही फौज*
*संविदा कर्मियों की मौज*
*समय से अपने उच्च अधिकारियों को खर्चा पानी देते रहो मौज करते रहो*
बिजली विभाग में ऐसे दर्जनों लाइनमैन और संविदा कर्मचारी हैं जो सिर्फ कागजों पर ही काम कर रहे हैं बिजली व्यवस्था की पूरी जिम्मेदारी प्राइवेट कर्मचारियों की फौज ने संभाल रखी है यह वही प्राइवेट कर्मचारी है दुर्घटना में मृत्यु होने के बाद इन कर्मचारियों की सुधि लेने के लिए भी विद्युत विभाग नहीं खड़ा होता है खंभे पर चढ़ना हो तार खींचना हो ट्रांसफार्मर चढ़ाना हो आपको सिर्फ मौत से संघर्ष करते यह प्राइवेट कर्मचारी ही दिखाई पड़ेंगे और जगह-जगह अपमान का शिकार होते ही यही नजर आएंगे
*कहां से मिलता है प्राइवेट कर्मचारियों को पैसा*
विद्युत विभाग ने सरकारी और संविदा कर्मियों को जिस काम के लिए रखा है वह अपनी जिम्मेदारियों से दूर नजर आ रहे हैं बिजली विभाग पूरी तरीके से प्राइवेट कर्मचारियों पर निर्भर है जबकि ₹2 किसी भी तरीके से इन प्राइवेट कर्मचारियों को बिजली विभाग द्वारा नहीं प्राप्त होते हैं प्राइवेट कर्मचारी मौत को गले लगाते हुए कंप्लेंट किलियर करने के नाम पर सो ₹50 की वसूली करके अपनी जीविका चलाने को मजबूर है और जानकारी तो यहां तक मिल रही है कि संविदा और सरकारी कर्मचारी उसमें से भी हिस्सा लेते हैं तो दूसरी ओर सरकारी या तो किसी ना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप अथवा अधिकारियों के रहमों करम से मौज काट रहे हैं सबसे बड़ी समस्या मीटर से छेड़छाड़ को लेकर आती है सरकारी और संविदा कर्मचारी मीटरों से छेड़छाड़ करके एक मोटा बिल बनाकर उपभोक्ता के आगे पेश कर उसको सुधारने के नाम पर प्राइवेट कर्मचारियों को आगे करके ठीक-ठाक पैसा वसूलते हैं ऐसा नहीं है बिजली विभाग के उच्च अधिकारियों को यह नहीं मालूम है लेकिन या तो उनका हिस्सा उनको पहुंचता है या फिर जान कर भी अंजान बने हुए हैं फिलहाल योगीराज अफसरशाही की कृपा से यह सब चल रहा है