…..*बाघ संरक्षित क्षेत्र में एक माह से दो दर्जन व्यक्ति कर रहे हैं फलों की रखवाली, वन विभाग मूकदर्शक* 

…..*बाघ संरक्षित क्षेत्र में एक माह से दो दर्जन व्यक्ति कर रहे हैं फलों की रखवाली, वन विभाग मूकदर्शक*

 

…… *रात्रि प्रवास कर गैर जनपदीय दर्जनों व्यक्ति कर रहे आम व लीची की रखवाली*

 

……. *घने जंगल में लकड़ी व फूंस का मचान बनाकर कर रहे हैं लोग*

 

…… *फल खा रहे बंदरों व चीतलों तथा अन्य वन्यजीवों को भगाने के लिए लाठी , डंडा और कुल्हाड़ी भी मौजूद*

 

…… *रेंजर रामकुमार ने बाघ संरक्षित क्षेत्र में दी गौर जनपदीय व्यक्तियों को पनाह*

 

…… *एक ओर जंगल में पुराने धार्मिक स्थलों पर लोगों की आस्था पर पाबंदी का ढोंग तो दूसरी ओर कोर ज़ोन जंगल गैर जनपदीय लोगों के हवाले*

 

……*मानव वन्यजीव संघर्ष की स्थिति का जिम्मेदार आखिर कौन*

 

जनपद बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग के कतर्नियाघाट रेंज में वन विभाग द्वारा वन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं । बतादें चले कि

वन विभाग द्वारा हर साल फलों की रखवाली के लिए स्थानीय व गैर जनपदीय ठेकेदारों को ठेके पर बाघ संरक्षित वन क्षेत्र का जंगल बर्बादी के लिए सौंप दिया जाता है जिसके चलते पिछले कई वर्ष फलों को जंगल से ले जाने को लेकर आसपास के ग्रामीणों व वन कर्मियों तथा ठेकेदारों से झड़प भी हो चुकी है । इस वर्ष भी आम व लीची के फलों के आते ही वन विभाग कतर्नियाघाट द्वारा वन नियमों को ताख पर रखकर बाघ संरक्षित वन क्षेत्र में फलों की रखवाली करने के लिए स्थानीय ठेकेदारों को जंगल का ठेका दे दिया गया है । जिसकी रखवाली के लिए ठेकेदार द्वारा पड़ोसी जनपद लखीमपुर खीरी के ढकरवा ननकार व क्षेत्र से लाए दो दर्जन व्यक्तियों से दिनोरात फलों की रखवाली करायी जा रही है जिसमें कई नाबालिग भी शामिल हैं । फलों की रखवाली कर रहे लोगों ने बताया कि वन क्षेत्राधिकारी रामकुमार द्वारा उन्हें दिहाड़ी पर रखकर फलों की रखवाली के लिए कहा गया जो फलों की रखवाली के लिए बीते एक माह से तैनात हैं । बतादें की फलों की रखवाली कर रहे लोगों ने घने जंगल में लकड़ी व फूंस का मचान भी बना रखा हैं जो दिनोरात ठहराव कर फलों की रखवाली कर रहे हैं । फल बचा रहे लोग वन विभाग व वन नियमों से इतना बेखौफ हैं कि कुलहाड़ी व लाठी और डंडों के सहारे फल खा रहे बंदरों व चीतलों को हाका लगाकर भगा रहे हैं । फलों की रखवाली की बात फोन पर जब रेंजर कतर्नियाघाट रामकुमार से पूछी गयी तो उन्होंने कहा कि जंगल में फलों की रखवाली के लिए लोगों को तैनात किया गया है ।

 

💥 *जंगल में क्यों है फलों के बाग* 💥

जनपद बहराइच के थाना सुजौली क्षेत्र अंतर्गत गिरिजापुरी, कुलिया गौढी व बगुलहिया में 3882 हेक्टेयर का कृषि फार्म सरकार द्वारा सन 1969, 70 में स्थापित किया गया था जिसे केंद्रीय राज्य फार्म के नाम से जाना जाता था । इस परिक्षेत्र में उन्नतिशील गेंहू , धान व सोयाबीन आदि के बीजों समेत फलों व फूलों के पौधों की नर्सरी भी भारत सहित नेपाली क्षेत्र में भी विक्रय का केंद्र बना हुआ था । इस गिरिजापुरी फार्म में 25 हेक्टेयर से अधिक परिक्षेत्र में आम , लीची , आड़ू , कटहल , बेर , नींबू , अमरूद , लुकाट के फलदार वृक्ष लगाए गए थे जिनकी सिचाई दवाई व देखरेख पर विभाग के लाखों रुपए खर्च होते थे । किन्ही कारणोंवश भारत सरकार ने इस फार्म को बंद कर पेड़ पौधों समेत वन विभाग को हस्तांतरित कर दिया था ।

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