*बिजली को लेकर केंद्र और राज्यों के बीच ब्लेम गेम शुरू, कोयला का बकाया पैसा ना देने का आरोप*
*दिल्ली*
बिजली संकट से जूझ रहे देश में अब केंद्र और राज्यों के बीच ब्लेम गेम शुरू हो गया है। एक तरफ राज्य केंद्र पर कोयला ना देने का आरोप लगा रहे हैं वहीं केंद्र कोयले की बकाया राशि की मांग कर रहा है।
एक तरफ देश में कोयले की कमी के चलते कई राज्यों में पावर कट की समस्या आ रही है वहीं दूसरी तरफ केंद्र और राज्य एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। कोयले की कमी की वजह से बिजली उत्पादन की रफ्तार धीमी है। ये बात तो सब जानते हैं लेकिन जो बात लोगों को नहीं बताई जा रही वो ये कि कुछ राज्यों ने कोयले की बकाया राशि नहीं दी है। देश में कोयले की 80 फीसदी आपूर्ति करने वाली कंपनी सेंट्रल कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) को कुछ राज्यों ने कोयले की बकाया राशि नहीं दी है।
देश में भीषण गर्मी के चलते बिजली की मांग में बेतहाशा वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए झारखंड में हर साल अप्रैल महीने में 1800 से 2100 मेगावाट बिजली की खपत होती थी। हर साल झारखंड के पास 1850 मेगावाट बिजली होती थी और वो 250 मेगावाट बिजली की कमी को पूरा करने करने की खुद कोशिश करती थी लेकिन इस साल झारखंड में 2500 मेगावाट बिजली की मांग है। एक रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की बिजली कंपनियां कोयले का पैसा नहीं चुका रही हैं। जानकारी के मुताबिक झारखंड की कोयला कंपनियों पर 1,018.22 करोड़ रुपये बाकी है। इसके अलावा पश्चिम बंगाल पर 1,506 करोड़ रुपये बाकी है। लिस्ट में महाराष्ट्र का भी नाम शामिल है जहां 25 हजार मेगावाट बिजली की डिमांड है जो पिछले साल से 2500 मेगावाट ज्यादा है। महाराष्ट्र की कोयला कंपनियों पर 2,608 करोड़ रुपये बकाया है।
एक तरफ केंद्र राज्य कोयले के पैसा ना देने का आरोप लगा रही है वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकारें रेलवे और उर्जा मंत्री पर कोयला ना देने का आरोप लगा रहे हैं। इस ब्लेम गेम में आम जनता पिस रही है जो 44 डिग्री तापमान में भी बिना पंखे के दिन-रात गुजारने पर मजबूर है।