*इंसान इंसान को डस रहा है और साँप बैठकर रो रहा है..!!*

*इंसान इंसान को डस रहा है और साँप बैठकर रो रहा है..!!*

 

*आखिर क्यों सम्मान और संस्कार समाप्त हो रहे..!!*

 

*प्रकृति कभी भी मनुष्य के साथ भेदभाव नहीं करती है लेकिन मनुष्य करता..!*

 

*मानव इंसानियत व मानवता को अपने जीवन उतारे!*

 

आज हर कोई आगे निकलने के लिए अंधाधुंध भागदौड़ कर रहा है लेकिन क्या इंसान सुखी हो रहा है? नहीं बल्कि मनुष्य अपनी जड़ों से दूर जा रहा है! मनुष्य एक तनावपूर्ण वातावरण में भटक रहा है मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि वह अपने फायदे के लिए किसी को भी नुकसान पहुँचाता और खुद को सही ठहराता है! यदि हमारे पास मानवता नहीं है तो हमें मानव कहलाने में शर्म आनी चाहिए!हम इंसान नहीं हैं!अगर हमारी आंखों के सामने किसी निर्दोष मासूम के साथ बुरा होता है और हमारे मन में करुणा पैदा नहीं होती है! आज के आधुनिक समय में इंसान अपने कपड़ों पैसों से जाना जाता है अपने कर्मों से नहीं क्यों? मासूम निष्पाप मुस्कान अब सिर्फ एक छोटे बच्चे के चेहरे पर ही देखी जा सकती है! सम्मान और संस्कार समाप्त हो रहे हैं कुछ इंसान जीतने शिक्षित सभ्य और उन्नत दिखते है उतना ही वह हैवानियत से भरे हुए है! आज हम किसी भी मीडिया के माध्यम से समाचार सुनते या देखते हैं तो पता चलता हैं कि समाज में कितनी अमानवीय घटनाएं हो रही हैं!कई गंभीर घटनाओं को तो समाज के सामने कभी उजागर ही नहीं किया जाता है मनुष्य इतना स्वार्थी हो गया है कि वह पशु

और पक्षियों के आवास के साथ साथ आने वाली अगली पीढ़ी के हिस्से के प्राकृतिक संसाधनों ईंधन स्वच्छ जल ऑक्सीजन जंगल हरियाली पर्यावरण के क्षेत्र को भी छीन रहे है!प्रकृति कभी भी मनुष्य के साथ भेदभाव नहीं करती है लेकिन मनुष्य करता है!भ्रष्टाचार महिलाओं बच्चों बुजुर्गों और कमजोरों पर अत्याचार जातिगत भेदभाव धोखाधड़ी जैसे गंभीर अपराध हर दिन बड़ी संख्या में हो रहे हैं!आज की मानवजाति वर्चस्व की लड़ाई लड़ रही है हम चाँद पर भी पहुँच चुके हैं लेकिन हमें यह नहीं पता कि हमारे पड़ोस में कौन रहता है और किस तरह जी रहा हैं हां हम सोशल मिडिया पर अपना दर्द दुख बाटते जरूर रखें हुए जो किसी काम नही आने वाले काम आता हैं तो पड़ोसी!आज इंसान इंसान का दुश्मन बनता जा रहा है क्योंकि वो पराये धर्म से है! लोगों का मूल उद्देश्य अपना स्वार्थ सिद्ध करना हो गया है किसी को पैसे का स्वार्थ है तो कोई ओहदे को लेकर और तो कोई एक तरफ़ा प्यार के स्वार्थ में अँधा है! इसी के चलते मानव इंसानियत को अपने जीवन से चलता कर देते हैं!किसी शायर ने क्या खूब कहा है ”इंसान इंसान को डस रहा है और साँप बैठकर रो रहा है”!लेकिन आज भी आपको समाज के हजारों लोग ऐसे मिल जाएंगे जो देश और विदेश में अपनी सफलता का बिगुल बजाने के बावजूद अब ग्रामीण क्षेत्र में एक गुमनाम और बहुत सादा जीवन जीकर पर्यावरण और असहाय लोगों की मदद कर रहे हैं!जीवन में हमेशा उच्च आदर्श का पालन करें मानव जन्म मिला है तो मानव के रूप में जिएं सभी प्रकार के आडंबर से ऊपर उठकर मानवता को समझें।

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