302 भा०दं०सं० के अभियुक्त अर्जुन को न्यायालय ने किया दोषमुक्त-शेष नारायण दीक्षित 

302 भा०दं०सं० के अभियुक्त अर्जुन को न्यायालय ने किया दोषमुक्त-शेष नारायण दीक्षित

जयप्रकाश वर्मा

सोनभद्र।

न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश, कोर्ट नम्बर-2, सोनभद्र। पीठासीन: राहुल मिश्रा (उच्चतर न्यायिक सेवा), UP02726 सत्र परीक्षण संख्या – 145 सन् 2015 राज्य बनाम अर्जुन पुत्र रामलखन, निवासी गजराज नगर हरिजन बस्ती थाना ओबरा, जनपद सोनभद्र अभियुक्त मुकदमा अपराध संख्या-378 / 2015 धारा-302 भा०दं०सं० थाना- ओबरा, जनपद-सोनभद्र निर्णय प्रस्तुत सत्र परीक्षण से संबंधित अपराध में पुलिस थाना ओबरा जनपद सोनभद्र द्वारा अभियुक्त अर्जुन के विरूद्ध मु०अ०सं०-378 / 2015, अन्तर्गत धारा 302 भा०द०सं० के अन्तर्गत आरोप पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनभद्र के न्यायालय में दिनांकित 25.10.2015 को प्रेषित किया गया उक्त आरोप पत्र पर तत्कालीन विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सोनभद्र द्वारा दिनांकित 09.11.2015 को अपराध का प्रसंज्ञान लिया गया तथा मामला सत्र परीक्षणीय होने के कारण दिनांक 16.12.2015 को प्रकरण को सत्र न्यायाधीश, सोनभद्र के न्यायालय में सुपुर्द किया गया, जहाँ से अन्तरित होकर पत्रावली विचारण हेतु इस न्यायालय को प्राप्त हुई। प्रस्तुत प्रकरण का सारांश संक्षेप में इस प्रकार है कि वादी मुकदमा रामजी ठाकुर पुत्र स्व. सरजू ठाकुर निवासी गजराज नगर बिल्ली थाना ओबरा जनपद सोनभद्र का निवासी है, ने दिनांक 29.08.2015 को थाना ओबरा पर इस आशय की एक लिखित तहरीर दाखिल किया कि दिनांक 29.08.2015 को सुबह समय करीब 05:15 बजे वादी मुकदमा के छोटे लड़के मिट्ठू की औरत उमा उम्र 32 वर्ष टहलने के लिए बाहर गयी थी जब कुछ देर बाद वापस नहीं आयी तो वादी मुकदमा के परिवार के लोग तलाश में बाहर निकले तो देखा गया कि गजराज नगर दुर्गा जी के मंदिर के पास रोड के किनारे नाली में उसका शव पड़ा था तथा सड़क पर खून गिरा था। किसी ने उसकी हत्या करके पास में ही नाली में फेंका है। वादी मुकदमा की लिखित सूचना के आधार पर अज्ञात अभियुक्त के विरूद्ध थाना ओबरा पर मुकदमा अपराध संख्या-378 / 2015 धारा 302 भा०दं०सं० पंजीकृत किया गया जिसकी प्रविष्टि थाना ओबरा जी.डी. दिनांकित 29.08.2015 नकल रपट संख्या – 11 समय 08:15 बजे में की गयी। वादी मुकदमा की लिखित तहरीर के आधार पर अज्ञात अभियुक्त के विरूद्ध मुकदमा पंजीकृत होने के पश्चात थाना ओबरा के निरीक्षक विरेन्द्र कुमार यादव व अन्य पुलिस कर्मियों के साथ घटनास्थल पर पहुंचे, जहाँ पर मृतका उमा देवी का शव दुर्गा देवी मन्दिर के पास सड़क के किनारे नाली में पड़ा था। मृतक के परिजन एवं आसपास के लोगों की काफी भीड़ एकत्र थी। उसी भीड़ में से पंचान नियुक्त कर उनके अधिकार एवं कर्त्तव्य बताकर पंचायतनामा की कार्यवाही प्रारम्भ की गयी। पंचान के रूप में जीतू ठाकुर, मिट्ठू ठाकुर, गोरखनाथ, जय प्रकाश एवं ओम प्रकाश को नामित किया गया। पंचायतनामा के उपरान्त मृतका के शव को एक सफेद कपड़े में रखकर सर्वमुहर कर नमूना शील मुहर तैयार करके पोस्टमार्टम हेतु जिला संयुक्त चिकित्सालय, सोनभद्र को भेजा गया जहाँ पर डॉक्टर द्वारा मृतका के शव का पोस्टमार्टम दिनांक 30.08.2015 को समय 01.15 पी.एम. बजे किया गया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्रदर्श क–03 के अनुसार मृतका की मृत्यु का कारण होना बताया है। इस मामले की विवेचना थाना ओबरा के थानाध्यक्ष विरेन्द्र कुमार यादव द्वारा प्रारम्भ की गयी। दौरान विवेचना, विवेचक द्वारा मृतका उमा देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से सम्बन्धित प्रपत्रों को प्राप्त किया गया तथा सम्बन्धित साक्षियों के बयान अंकित किये, घटनास्थल का नक्शा नजरी तैयार किया गया तथा विवेचना के क्रम में संकलित साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त अर्जुन का नाम प्रकाश में आने पर उसके विरुद्ध भारतीय दंड संहिता की धारा 302 भा०दं०सं० में दण्डनीय अपराध का आरोप पत्र विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोनभद्र के न्यायालय में दिनांकित 25.10.2015 को प्रेषित किया गया उक्त आरोप पत्र पर तत्कालीन विद्वान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, सोनभद्र द्वारा दिनांकित 09.11.2015 को अपराध का प्रसंज्ञान लिया गया, जहाँ से अन्तरित होकर पत्रावली विचारण हेतु इस न्यायालय को प्राप्त हुई। अभियुक्त अर्जुन को तलब किया गया, अभियुक्त हाजिर आया। अभियोजन पक्ष तथा अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता शेष नारायण दीक्षित को आरोप के बिन्दु पर सुनकर दिनांक 26. 05.2016 को अभियुक्त अर्जुन के विरूद्ध धारा 302 भा०दं०सं० के अन्तर्गत आरोप विरचित किया गया विरचित आरोप अभियुक्त को पढ़कर सुनाया व समझाया गया। अभियुक्त ने आरोप से इन्कार किया तथा परीक्षण की मांग की। अभियोजन की ओर से अपने कथन के समर्थन में पी.डब्लू-1 रामजी ठाकुर (यादी मुकदमा). पी. डब्लू – 2 जीतू ठाकुर, पी.डब्लू. – 3 डॉ. सुरेश कुमार, पी.डब्लू. 4. का. मु. विजय शंकर, पी.डब्लू. -5 मिट्टू ठाकुर, पी. डब्लू 6 रामजियावन, पी.डब्लू. – 7 विरेन्द्र कुमार यादव (विवेचक), पी.डब्लू. – 8 आदित्य कश्यप को परीक्षित कराया गया है। अभियोजन अधिकारी तथा अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता शेष नारायण दीक्षित के तकों को धैर्यपूर्वक सुना गया तथा पत्रावली पर उपलब्ध मौखिक एवं प्रलेखीय साक्ष्यों का सम्यक परिशीलन किया गया।

गौरतलब है कि प्रदर्श क-3 एवं 04 की फर्द ही संदेह से घेरे में है तो मात्र गमछा और पाईप की पहचान करने से यह नहीं माना जा सकता कि अभियोजन अपने प्रकरण को युक्तियुक्त संदेह से परे साबित करने में सफल रहा है। परिस्थितिजन्य साक्ष्य के प्रकरणों में अपराध कारित करने के पीछे के अपराध के हेतुक का सम्पूर्ण योगदान होता है परन्तु इस प्रकरण में अभियोजन यह बताने में सफल नहीं रहा है कि घटना कारित करने के पीछे अर्जुन का हेतुक क्या था अतः न्यायालय का यह निष्कर्ष है कि दिनांक 29.08.2015 को सुबह समय 05.15 बजे दुर्गाजी मन्दिर के पास गॉव गजराज नगर थाना ओबरा, जिला सोनभद्र में उमा देवी की हत्या अर्जुन द्वारा की गयी हो इस तथ्य की कड़ियों को अभियोजन युक्तियुक्त संदेह से परे साबित नहीं कर सका है तथा अभियोजन के साक्ष्य के आधार पर न्यायालय का ऐसा कोई अभिमत नहीं नहीं है कि अभियुक्त अर्जुन द्वारा ही मृतका उमा देवी की हत्या दिनांक 29.08.2015 को सुबह समय 05.15 बजे दुर्गाजी मन्दिर के पास गॉव गजराज नगर थाना ओबरा, जिला सोनभद्र की हो। यह न्यायालय सत्र परीक्षण संख्या – 145 सन् 2015 से सम्बन्धित अभियुक्त अर्जुन के विरुद्ध लगाये गये आरोप अंतर्गत धारा 302 भा०दं०सं० के अपराध में दोषसिद्ध करने का कोई उचित आधार नहीं पाता है। अतः यह न्यायालय सत्र परीक्षण संख्या – 145 सन् 2015 से सम्बन्धित अभियुक्त अर्जुन के विरूद्ध लगाये गये आरोप अंतर्गत धारा 302 भा०दं०सं० के अपराध में दोषमुक्त किया जाना उचित प्रतीत होता है। आदेश सत्र परीक्षण संख्या – 145 सन् 2015 से सम्बन्धित अभियुक्त अर्जुन को मु०अ०सं०- 378 / 2015 राज्य बनाम अर्जुन, धारा 302 भा०दं०सं० के अपराध से दोषमुक्त किया जाता है। अभियुक्त अर्जुन प्रस्तुत मामले में जिला कारागार में निरूद्ध है। अभियुक्त अर्जुन का रिहाई परवाना अबिलम्व जिला कारागार प्रेषित किया जावे। अभियुक्त द्वारा धारा-437ए दं०प्र०सं० के अनुपालन में व्यक्तिगत बन्ध पत्र एवं दो प्रतिभू दाखिल किये गये हैं। यह व्यक्तिगत बन्ध पत्र एवं प्रतिभू छः माह के लिए प्रभावी रहेंगे तथा छः माह की अवधि बीत जाने के उपरान्त स्वतः निरस्त समझे जायेंगे।

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