#अहमद_बिन_माजिद : अरब सागर का राजकुमार
#उस ने मललाहों के एक परिवार में आखें खोलीं थीं बचपन में ही समुद्र से खेलने का शौक था सिर्फ आठ साल की उम्र में नाव चलाना सीख गया था और सत्रह साल की उम्र में नाव लेकर दूसरे देश की सेर को निकल पड़ा था
#अहमद बिन माजिद सन 1430 में जुल्फर शहर में पैदा हुए जुल्फर को आजकल रासुल खेमा कहा जाता है जो यूएई का एक राज्य (इमारा) है यह शहर उस समय ओमान देश के अंतर्गत था
#अहमद के पिता माजिद और दादा मोहम्मद भी मल्लाह थे उन का काम था समुद्री रास्तों से सामान की ढुलाई करना जिस के लिए वह लाल सागर, अरब सागर, अरब खाड़ी, ओमान की खाड़ी, बंगाल की खाड़ी, अरब महासागर और दक्षिण चीन सागर में चक्कर लगाते रहते थे
#अहमद बिन माजिद और उसके पूर्वजों या दूसरे मललाहों में अंतर यह था कि दूसरे मल्लाह आम तौर पर अनपढ़ या मामूली पढ़े-लिखे थे जबकि अहमद बिन माजिद एक शिक्षित व्यक्ति थे उन्होंने गणित, खगोलशास्त्र और अरबी साहित्य पढ़ रखा था वह एक अच्छे शायर और हाफिज़े कुरआन थे वह कई भाषाएं बोल सकते थे जिन में अरबी फ़ारसी गुजराती और तमिल प्रमुख हैं
#अहमद बिन माजिद ने समुद्र और समुद्री सफ़र पर 30 से अधिक किताबें लिखी हैं जिन में (किताब फवायद फी उसूल अल बिह्हार वल कवायद) काफी मशहूर है विश्व के कई भाषाओं में उस का तर्जुमा हो चुका है वह एक कार्टोग्राफर Cartographer यानी नक़्शानवेस थे और नेवीगेशन के लिए उस समय उपलब्ध उस्तरलाब की अच्छी जानकारी रखते थे उन्होंने नेवीगेशन के नियम को अरबी कविता के रूप में लिखा है
#अहमद बिन माजिद की इन्हीं खूबियों की बिना पर उन्हें लोग अमीर बहरे अरब कहने लगे थे यानी अरब सागर का शाहज़ादा और अपनी इस उपाधि से वह इतने मशहूर हुए कि यूरोप में वह Almirant के नाम से जाने जाने लगे
#इतने शिक्षित होने के साथ-साथ वह बहुत बहादुर और खुद पर कंट्रोल रखने वाले थे इस लिए उन्हें असद – उल – बह्हार यान