तिरुवनंतपुरम में पत्रकार दीपक गुप्ता ने भगवान श्री पद्मनाभस्वामी के दर्शन किए
ब्यूरो उत्तराखंड दीपक गुप्ता
तिरुवनंतपुरम। केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम का नाम श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रमुख देवता के नाम पर है जिन्हें अनंत (जो सर्प अनंत पर लेटे हैं) भी कहा जाता है। शब्द ‘ तिरुवनंतपुरम’ का शाब्दिक अर्थ है – श्री अनंत पद्मनाभस्वामी की भूमि माना जाता है श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर ऐसे स्थान पर स्थित है जो सात परशुराम क्षेत्रों में से एक है। स्कंद पुराण और पद्म पुराण में इस मंदिर का संदर्भ मिलता है। यह मंदिर पवित्र टंकी पद्म तीर्थम यानी ‘कमल जल’ के पास है ।यह मंदिर अब एक ट्रस्ट चलाता है जिसका नेतृत्व त्रावणकोर के पूर्ववर्ती राज परिवार के पास है।छवि श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रमुख देवता की प्रतिमा अपने निर्माण के लिए जानी जाती है जिसमें 12008 शालिग्राम हैं जिन्हें नेपाल की नदी गंधकी के किनारों से लाया गया था। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का गर्भगृह एक चट्टान पर स्थित है और मुख्य प्रतिमा जो लगभग 18 फीट लंबी है, जिसको अलग-अलग दरवाजों से देखा जा सकता है। पहले दरवाजे से सिर और सीना देखा जा सकता है जबकि दूसरे दरवाजे से हाथ और तीसरे दरवाजे से पैर देखा जा सकता हैं।सौंदर्य और वास्तुशिल्प इस मंदिर का वास्तुशिल्प पत्थर और कांसे पर की गई नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। मंदिर के अंदरूनी हिस्सों में सुंदर चित्र और भीति चित्र उकेरे गए हैं। इनमें से कुछ चित्र भगवान विष्णु की लेटी हुई मुद्रा, नरसिम्ह स्वामी (आधा सिंह, आधा नर जो भगवान विष्णु का रूप है). भगवान गणपति और गज लक्ष्मी की छवियाँ हैं। इस मंदिर का ध्वज स्तंभ लगभग 80 फीट ऊंचा है जिसे स्वर्ण लेपित तांबे की चादरों से ढंका गया है। इस मंदिर में कुछ रोचक ढांचे भी है जो बालि पीडा मंडपम और मुख मंडपम के रूप में हैं। यह बड़े हॉल हैं जिन्हें विभिन्न हिंदू देवताओं की सुंदर कलाकृतियों से सजाया गया है। एक और ढांचा जो आपका ध्यान आकर्षित करेगा,वह नवग्रह मंडपा है