कर्नलगंज ब्लाक में मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर हो रही धांधली बीडीओ की मिलीभगत से जिम्मेदार कर्मचारी कर रहे जमकर सरकारी धन का गबन और फर्जीवाड़ा।
संपूर्ण प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराकर सरकारी धनराशि की रिकवरी कराते हुए कार्रवाई किये जाने की मांग।
रंजीत तिवारी
कर्नलगंज, गोण्डा। ब्लाक के जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत व कमीशन खोरी के चलते मनरेगा योजना में बड़े पैमाने पर जमकर धांधली करते हुऐ सरकारी धन का बंदरबांट किया जा रहा है,लेकिन जिम्मेदार अधिकारी शिकायत के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं कर रहे हैं।
मामला विकास खंड कर्नलगंज अन्तर्गत ग्राम पैरौरी से जुड़ा है। यहां के निवासीगण प्रदीप कुमार सिंह व सुरजन सिंह ने आला अधिकारियों को शिकायती पत्र भेजा है। जिसमें कहा गया है कि स्थानीय अधिकारियों की मिली भगत से ग्राम पंचायत पैरौरी के विकास कार्य में बड़े पैमाने पर धांधली की जा रही है। मनरेगा योजना के तहत फर्जी श्रमिकों के नाम का मास्टर रोल जारी करवाकर बिना कार्य करवाए ही भुगतान किया जा रहा है। आरोप है कि रामप्रसाद तिवारी के खेत से बड़कन के खेत तक 02 से 15 फरवरी तक 40 श्रमिकों का मस्टररोल निर्गत करवाकर कार्य कराया जाना दिखाया गया है। जबकि इस अवधि के बीच मात्र 7 श्रमिक 10 दिवस कार्य किये हैं। यही नहीं उसी स्थान पर पुनः 17 फ़रवरी से 2 मार्च तक 48 श्रमिकों का मस्टर रोल निर्गत कराया गया है। शनिवार को आयुक्त द्वारा उक्त सड़क का स्थलीय निरीक्षण किया गया। जिसमें फर्जी श्रमिकों को एक घंटे के लिए बुलाकर उनकी उपस्थिति दिखाकर जांच करवा दी गई। उनके वापस जाते ही सभी फर्जी श्रमिक वापस अपने घर चले गए। जांच की सूचना पाकर कई लोगों के साथ वह उक्त सड़क के पटाई स्थल पर 3 बजे पहुंचे तो वहां एक श्रमिक कार्य कर रहा था। कुछ देर बाद वह भी चला गया। शाम 4 बजे तक सड़क पटाई स्थल पर वह मौजूद रहा। मगर कोई श्रमिक नहीं दिखा। जिसका जीपीएस फोटो व वीडीओ भी उनके पास मौजूद है। इस तरह फर्जी श्रमिकों के नाम से मस्टर रोल निर्गत करवाकर बिना पटाई कार्य करवाए ही सरकारी धन का भुगतान किया जा रहा है। आरोप है कि पूर्व में भी मनरेगा योजना में धांधली किये जाने की कई बार शिकायत की जा चुकी है। मगर स्थानीय अधिकारियों की संलिप्तता की वजह से कोई कार्रवाई नही हो पा रही है। उन्होंने प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच कराकर धन की रिकवरी कराते हुए कार्रवाई किये जाने की मांग की है। इस संबंध में जब संयुक्त खंड विकास अधिकारी श्रीकांत तिवारी से वार्ता करने हेतु सीयूजी नंबर पर संपर्क किया गया तो उनका फोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर था।