वन विभाग अधिकारियों ,की निष्क्रियता से हरे वृक्षों की कटाई खुलेआम।

वन विभाग अधिकारियों ,की निष्क्रियता से हरे वृक्षों की कटाई खुलेआम।

मीरजापुर / वन विभाग की निष्क्रियता से छानबे क्षेत्र में हरे वृक्षों की कटाई खुले आम हो रही है।स्थानीय समाज सेवियों का कहना है कि अगर इसी तरह बाग बगीचे उजड़ते रहे तो आने वाले दिनों में जन जीवन को खतरा उत्पन्न हो जाएगा । अगर पेड़ सूख गए उसे कटा जाय तो गलत नहीं है, परंतु हरे पेड़ों को काटना प्रकृति के साथ खिलवाड़ है । ज्ञात हो कि जिगना थाना अंतर्गत गंगा तटीय गांवों में स्थित बगीचों से अन्तर्जनपदीय एक ठेकेदार द्वारा पिछले मंगलवार को रात्री के 8 बजे दर्जनों विशालकाय हरे भरे बगीचे से दर्जनों पेड़ काटकर ले जाने की तैयारी में थे उसी समय एक जागरूक पत्रकार संगम राज पांडेय ने ट्रक में लदे कटे हुए पेड़ों को देख स्थानीय पुलिस को सूचना दी। जिगना पुलिस तत्काल मौके पर पहुंच ट्रक को जप्त कर दो लोगों को हिरासत में लिया। लेकिन बाद में पुलिस ने उसे छोड़ दिया जबकि वन विभाग को सौपना चाहिए था।बिना वन विभाग के इजाजत नहीं छोड़ना चाहिए था।इस बात पर आश्चर्य व्यक्त की जारही है कि यातायात के दौरान और कटाई करने हेतु वन विभाग का परमिशन आवश्यक होता है । फिर ट्रक में लदा हुआ पेड़ की लकड़ियां कैसे प्रतापगढ़ पहुंच गईं। ट्रक के पीछे लिखे मोबाइल से पता चला कि प्रतापगढ़ जनपद के एक ठेकेदार द्वारा वृक्षों को खरीदा गया है। वन विभाग अधिकारियों को इसका नजराना दिया गया जिससे वे कोई मामला दर्ज नहीं कराए । स्थानीय लोगों का कहना है कि हरे पेड़ों को धराशाई करने वाले माफियाओं द्वारा बड़े पैमाने पर क्षेत्र के मिश्रपुर, खैरा, बसेवरा, गोगांव, नगवासी, दुगौली आदि गांवों के गंगा तटीय ग्रामीण क्षेत्रों से खुलेआम पेड़ों को काटकर अन्य जनपदों में ले जाकर ऊंचे दामों में बेचते है। इसमें गांव के कुछ दलाल शामिल है जिसके माध्यम से वन अधिकारियों और पुलिस से सांठगांठ कर ट्रक को पास करवा दिया जाता है। बताया जाता है कि पुलिस को जानकारी देने वाले जागरू वरिष्ठ पत्रकार संगम राज पांडेय पर दबाव बनाया जारहा है कि इस मामले से दूर रहें ।बतादें कि उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के विरुद्ध लिखने वाले या माफियाओं के विरुद्ध कलम चलाने वालो पत्रकारों पर फर्जी मामले आम बात हो गये हैं। हाल ही में एक पत्रकार ने मांडा ब्लाक अंतर्गत नियमित विद्यालयों में न आने वाले शिक्षकों की पोल खोली तो सभी शिक्षक एक साथ थाने पहुंच फर्जी मामला दर्ज कराने पर आमादा है। ऐसे कई जिलों के उन पत्रकारों पर फर्जी मामले दर्ज कराए गए जो योगी सरकार के भ्रष्ट अधिकारियों ,कर्मचारियों की पोल खोली है। उत्तर प्रदेश में यही कारण है कि जिनसे अपराधों में वृद्धि होती है।

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