*जेसीबी से हुए तालाब जीर्णोद्धार का फर्जी मजदूरी भरकर आहरित की जा रही राशि,जिम्मेदार अनजान।*

*जेसीबी से हुए तालाब जीर्णोद्धार का फर्जी मजदूरी भरकर आहरित की जा रही राशि,जिम्मेदार अनजान।*

सीधी जिले के कुसमी आदिवासी जनपद पंचायत कोडार ग्राम पंचायत का मामला सामने आया है जहां ग्रामीणों के द्वारा बताया गया तालाब जीर्णोद्धार कार्य पश्चिम टोला कोडार का निर्माण कार्य जेसीबी मशीन एवं ट्रैक्टर से पूरा कर दिया गया है,और जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हो भी गया है।लेकिन अब उसमे फर्जी मनरेगा योजना में मजदूरों की हाजिरी भरकर पैसे आहरित किया जा रहा है।एवं जिस व्यक्ति के खाते मे राशि भेजी जाती है उनके पास कुसमी के समाजसेवी के छोटे भाई रज्जन गुप्ता गांव के लोगो के पास पहुंचकर डाली गई राशि अपने खुद का डीएससी मशीन लेकर पैसे 10प्रतिशत देकर राशि ले रहा है और फिर राशि का बंदरबांट किया जा रहा है,मामले की जानकारी कुसमी जनपद के वरिष्ठ अधिकारियो को है लेकिन ज पंचायत के पदाधिकारी कोई कार्यवाही करने की बजाय संबंधित ठेकेदार को खुली छूट दिए हुए हैं।
*नही लगाया गया सूचना बोर्ड*
कोडार ग्राम पंचायत के पश्चिम टोला में चल रहे तालाब जीर्णोद्धार के पास कोई भी सूचना बोर्ड पंचायत के द्वारा नहीं लगाया गया है। जबकि मनरेगा में कार्य के पहले ही सूचना बोर्ड लगाने का नियम शासन के द्वारा बनाया गया है नियमों की अनदेखी शायद इसीलिए की ई है क्योंकि वहा पहले से तालाब बना हुआ था और नबीन तालाब 5लाख तक बन जाता है फिर 9लाख रूपये का जिर्णोद्धार कार्य करवाने मे लोगो एवं पचायत पदाधिकारी प्रश्न चिन्ह खडा कर सकते थे। सूत्रों के द्वारा बताया गया कि करीब 9लाख का तालाब जीर्णोद्धार का कार्य स्वीकृत किया गया है जिसमें करीब ₹5लाख रूपये फर्जी मस्टररोल मे लोगो की हाजरी भरकर पैसे आहरित किया जा चुका है और यदि समय पर रोक नही लगाया गयख तो 9लाख पूरा हजम करने मे देरी नही लगेगी।फजीवाडे का खेल जोरों से चल रहा है जिसमें ग्रामीणों ने प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए फर्जीवाड़ा पर कार्यवाही की मांग कर रहे हैं।

*उपयंत्री की भूमिका संदिग्ध*

कुसमी जनपद पंचायत में पदस्त उपयंत्री अशोक सिंह को जितनी भी पंचायतें जनपद से उन्हें दी गई हैं उन सभी पंचायतों में वह भ्रष्टाचार की इबारत लिख रहे हैं कुछ लोगों के द्वारा जब मनरेगा में हुई गड़बड़ी के बारे में उनसे जानकारी ली गई तब उन्होंने बताया कि काम चाहे जेसीबी से हुआ हो या फिर मजदूरों से तरह से काम पूरा होना चाहिए और तभी उसका मूल्यांकन किया जाता है। ऐसे में मनरेगा योजना के सारे नियम कायदे उनके लिये कुछ मायने नही रखते और इसी लिये जेशीबी मशीन दो दिन मे काम कर देती है और वो अपने चहेतो को काम देकर फर्जी मजदूरी का मूल्याकन कर रहे है।जिससे उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।और आए दिन इंजीनियर के कारनामे अखबारो की सुर्खियों पर बने रहते हैं लेकिन सफेद पोशाकों के द्वारा एवं जिला के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा उन्हें इतना संरक्षण दिया गया कि वो भ्रष्टाचार करते जा रहे है।वैसे इंजीनियर के कारनामो से विकाश यात्रा पर क्षेत्रीय नेताओं की छवि धूमिल हो रही है।

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