पांच दोषियों को 3-3 वर्ष की कैद
– प्रत्येक पर 6-6 हजार रुपये अर्थदंड, न देने पर 6-6 माह की अतिरिक्त कैद
– साढ़े 17 वर्ष पूर्व हुए चालक महेंद्र हत्याकांड का मामला
जयप्रकाश वर्मा
सोनभद्र।
सोनभद्र। साढ़े 17 वर्ष पूर्व हुए चालक महेंद्र हत्याकांड के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय राहुल मिश्रा की अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए दोषसिद्ध पाकर पांच दोषियों रंजन सिंह, शिवकुमार सिंह, मुन्ना यादव उर्फ विजय शंकर, शत्रुघ्न यादव व वृजेश यादव को 3-3 वर्ष की कैद एवं प्रत्येक को 6-6 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। वहीं अर्थदंड न देने पर 6-6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक अनपरा थाने में 17 मई 2005 को दी तहरीर में राजस्थान प्रांत के जिला झुंझुन अंतर्गत थाना चिड़ावा के पदमपुरा गांव निवासी नवरंगलाल पुत्र गयनारायन हालपता रेनुसागर थाना अनपरा ने अवगत कराया था कि वह रेनुसागर कंपनी में कार्यरत है। उसने दो माह पूर्व एक बोलेरो खरीदा था जिसे अनपरा बाजार निवासी महेंद्र प्रसाद पुत्र डॉक्टर प्रसाद को चलाने के लिए चालक रखा था। 19 अप्रैल 2005 को रंजन सिंह पुत्र सभाजीत सिंह, शिवकुमार सिंह पुत्र रामनाथ सिंह, मुन्ना यादव पुत्र राजेंद्र यादव, शत्रुघ्न यादव पुत्र बैजनाथ यादव व वृजेश यादव पुत्र बनारसी समस्त निवासीगण रेनुसागर कालोनी थाना अनपरा जिला सोनभद्र उसके चालक महेंद्र प्रसाद को बहलाकर उसे बोलेरो के साथ शाम 8 बजे चालक का अपहरण कर हत्या करने की नीयत से उसे वाराणसी ले गए। उसने गाड़ी व चालक का 2-3 दिन तक इंतजार किया, लेकिन पता नहीं चला। जब गाड़ी व चालक का पता लगाने लगे तभी देखा कि जो लोग वाराणसी लेकर गए थे वे चोरी छिपे रेनुसागर में ही रह रहे हैं। तब पूर्ण विश्वास हो गया कि इनलोगों ने चालक की हत्या करके लाश को कहीं छुपा दिए हैं। इस तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना की। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर न्यायालय में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर पांच दोषियों रंजन सिंह, शिवकुमार सिंह, मुन्ना यादव, शत्रुघ्न यादव व वृजेश यादव को 3-3 वर्ष की कैद एवं प्रत्येक पर 6-6 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर 6-6 माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से अभियोजन अधिकारी विजय प्रकाश यादव ने बहस की।