सरोजनीनगर, लखनऊ।

सरोजनीनगर, लखनऊ।
जियो और जीने दो विषय पर संगोष्ठी कर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्षा शाइस्ता अंबर ने किया सलमा बेग को सम्मानित।

जैसा की विदित है आज के समय में मानवीय मूल्य चुनौती ग्रस्त परिस्थितियों से जूझ रहे हैं एक ओर जहां हम महिला और पुरुष समानता की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर महिलाओं पर गर्भ धारण करते ही यदि बेटी है तो इसी स्तर से उसके अधिकारों का हनन शुरू हो जाता है।
आज कई नियम और कानून मानव अधिकारों को संरक्षित करने के लिए बनाए गए हैं । संविधान भी हमें मौलिक अधिकारों और नीति निर्देशक तत्व के रूप में मौलिक कर्तव्यों को देकर मानवीय मूल्यों को संरक्षण प्रदान करता है।
कार्यक्रम ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, भारतीय नागरिक परिषद और वर्ल्ड चैरिटेबल वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के तत्वाधान में आयोजित हुआ।
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि श्रीमती रत्ना शुक्ला डायरेक्टर आवाज ए खवातीं दिल्ली से तथा मुख्य वक्ता सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता श्रीमती रितु दुबे रही।
बोर्ड के अध्यक्ष शाइस्ता अंबर ने कहा कि संविधान ने हमें समानता प्रदान की है फिर भी आज बराबरी की बात करने वाला हमारा समाज कहीं ना कहीं जाने अनजाने कमजोर असहाय तलाकशुदा मुस्लिम औरतों को हेय दृष्टि से देखता है और उनके साथ अन्याय कर रहा है ।आज तलाकशुदा महिलाएं अपनी आइडेंटिटी की लड़ाई लड़ रही हैं उनके बच्चे बिना पिता के नाम के शिक्षा से महरूम हो रहे हैं, असंवैधानिक तलाक के मामले कई वर्षों तक कोर्ट में चलते हैं और इस दौरान असहाय महिला बिना किसी आसरे के बिना किसी आर्थिक सहायता के बच्चों को बढ़ाने और अपने जीवन को चलाने के लिए शोषण अन्याय का शिकार होती रहती है।
माननीय कोर्ट को अन्याय के मामलों में त्वरित निर्णय लेते हुए महिलाओं के साथ न्याय करना चाहिए। आवाज ए खवातीन की डायरेक्टर रत्ना शुक्ला आनंद ने सभी को बताया कि आज महिलाओं या पुरुषों के साथ अन्याय तभी होता है जब वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं होते और जागरूकता की कमी का सबसे बड़ा कारण शिक्षा का अभाव है। हमें गांव गली मोहल्ले सभी को जोड़ते हुए शिक्षा की अलख जगानी होगी, बेटियों को शिक्षित करना होगा और उन्हें रोजगार परक शिक्षा देनी होगी ताकि जीवन में यदि कभी उनके साथ शोषण होता है तो वह अपनी आवाज ज्ञान के साथ उठा सकें।
रीना त्रिपाठी ने कहा कि आज अत्याधुनिक वैज्ञानिक युग में रहने वाले मानव यदि अपने हक और अधिकारों से खुद को शोषण और अन्याय होता महसूस कर रहे हैं तो कल्पना करिए उस बेजुबान जानवरों का क्या होता होगा ?जिन्हें ना तो अपने हक का ज्ञान है और ना अधिकारों का, जिन्हें अनायास ही बलिवेदी पर कभी बलि के नाम पर तो कभी जीभ के स्वाद के नाम पर चढ़ा दिया जाता है। हम मानव को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होने के साथ-साथ बेजुबानो की रक्षा का भी संकल्प लेना चाहिए ताकि पृथ्वी में आपसी सौहार्द स्थापित रहते हुए जीवमंडल में संतुलन बरकरार रहे और पर्यावरण संरक्षित रहे।
इस अवसर पर महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश करती पहली महिला रेल ट्रैक लाइन गेटकीपर की भूमिका निभाने वाली सलमा बेग को शाइस्ता अंबर द्वारा पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में लखनऊ शहर के कई समाजसेवी संगठन प्रबुद्ध लोगों ने प्रतिभाग किया जिसमें मुख्य रुप से जाकिरा नाज अशफ़ा रिजवी, रेनू त्रिपाठी, राजू शुक्ला, आईशा सुमंबुल, राबिया संदल, साबिरा हबीब, रामचंद्र गौतम ,सबीहा सिद्दीकी एवं शौकत खान, अनुपम तिवारी, संतोष तिवारी सुशील यादव सहित सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने हिस्सा लिया।…………. इंडिया एक्सप्रेस न्यूज,,,, चैनल,,,,,नबी अहमद,,

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