श्रीराम ने भीलनी के हाथ बेर खाकर भेदभाव को दूर किया :- घनश्याम जायसवाल
डॉ0कल्प राम त्रिपाठी
तरबगंज गोंडा भीलनी के हाथ बेर खाकर भगवान श्रीराम ने जात पात की भेदभाव को दूर करते हुए समाज के सभी लोगों को गले लगाते हुए एकता का संदेश दिया उक्त विचार भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यसमिति सदस्य घनश्याम जायसवाल ने श्री बाबा ब्रह्मदेव श्री राम विवाह महोत्सव खाले दुबरा सिगहाचन्दा तरबगंज में पदाधिकारियों को अंग वस्त्र भेंट करते हुए अपने विचार व्यक्त किया।
घनश्याम जायसवाल ने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने माता-पिता के सम्मान में राज सिंहासन को त्याग कर वन जाना अपना धर्म समझा। इस दौरान उन्होंने साधु महात्माओं के यज्ञ में रोड़ा बने असुरों का नाश किया और समाज में फैले ऊंच नीच जात पात के बंधन को तोड़ने के लिए भीलनी के हाथों बेर खा कर समाज को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया।
घनश्याम जायसवाल ने कहा कि हमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों पर चलना होगा उनसे सीख लेते हुए जीवन जीने की कला सीखनी होगी । प्रभु श्रीराम प्रातः काल उठकर माता पिता और गुरु को प्रणाम करते थे। इसलिए उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वह सुबह उठकर अपने माता पिता और गुरुजनों को प्रणाम करके ही अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ाएं । उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राम ने महिलाओं का सम्मान किया इसलिए हम लोग का दायित्व बनता है कि महिलाओं के प्रति सम्मान रखते हुए बेटे और बेटी में फर्क ना समझे बेटों के साथ ही बेटियां को उच्च शिक्षा दिलाएं बेटियां दो घरों को रोशन करती हैं। इसलिए उनका शिक्षित होना बहुत जरूरी है।
पर्यावरण पर बल देते हुए घनश्याम जायसवाल ने कहा 20 वर्ष पूर्व गांव में जब बारात आती थी तब वह बड़े-बड़े कार्यक्रम बगीचे में संपन्न हो जाते थे। पूर्वजों द्वारा लगाई गई बाग हमश्रीराम ने भीलनी के हाथ बेर खाकर भेदभाव को दूर किया :- घनश्याम जायसवाल
भीलनी के हाथ बेर खाकर भगवान श्रीराम ने जात पात की भेदभाव को दूर करते हुए समाज के सभी लोगों को गले लगाते हुए एकता का संदेश दिया उक्त विचार भारतीय जनता पार्टी जिला कार्यसमिति सदस्य घनश्याम जायसवाल ने श्री बाबा ब्रह्मदेव श्री राम विवाह महोत्सव खाले दुबरा में पदाधिकारियों को अंग वस्त्र भेंट करते हुए अपने विचार व्यक्त किया।
घनश्याम जायसवाल ने कहा कि भगवान श्रीराम ने अपने माता-पिता के सम्मान में राज सिंहासन को त्याग कर वन जाना अपना धर्म समझा इस दौरान उन्होंने साधु महात्माओं के यज्ञ में रोड़ा बने असुरों का नाश किया और समाज में फैले ऊंच नीच जात पात के बंधन को तोड़ने के लिए भीलनी के हाथों बेर खा कर समाज को एकता के सूत्र में बांधने का काम किया।
घनश्याम जायसवाल ने कहा कि हमें मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के आदर्शों पर चलना होगा उनसे सीख लेते हुए जीवन जीने की कला सीखनी होगी । प्रभु श्रीराम प्रातः काल उठकर माता पिता और गुरु को प्रणाम करते थे। इसलिए उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वह सुबह उठकर अपने माता पिता और गुरुजनों को प्रणाम करके ही अपनी दिनचर्या को आगे बढ़ाएं । उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राम ने महिलाओं का सम्मान किया इसलिए हम लोग का दायित्व बनता है कि महिलाओं के प्रति सम्मान रखते हुए बेटे और बेटी में फर्क ना समझे बेटों के साथ ही बेटियां को उच्च शिक्षा दिलाएं बेटियां दो घरों को रोशन करती हैं। इसलिए उनका शिक्षित होना बहुत जरूरी है।
पर्यावरण पर बल देते हुए घनश्याम जायसवाल ने कहा 20 वर्ष पूर्व गांव में जब बारात आती थी तब वह बड़े-बड़े कार्यक्रम बगीचे में संपन्न हो जाते थे। पूर्वजों द्वारा लगाई गई बाग हम लोगों ने आवश्यकता बस नष्ट कर खत्म कर दिया । अब वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। आने वाले पीढ़ी को शुद्ध ऑक्सीजन मिल सके इसलिए अपने जीवन में कम से कम 10 पौधे जरूर लगाना होगा। पीपल बरगद 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं इसलिए इन्हें बचाने और नए पौधरोपण करने की आवश्यकता है। पर्यावरण से ही जीवन संभव है।
लोगों ने आवश्यकता बस नष्ट कर खत्म कर दिया । अब वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। आने वाले पीढ़ी को शुद्ध ऑक्सीजन मिल सके इसलिए अपने जीवन में कम से कम 10 पौधे जरूर लगाना होगा। पीपल बरगद 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं इसलिए इन्हें बचाने और नए पौधरोपण करने की आवश्यकता है। पर्यावरण से ही जीवन संभव है। समिति के अध्यक्ष ऋषि श्रीवास्तव ने आए हुए सभी अतिथियों का आभार व्यक्त कर सबका स्वागत सम्मान किया।