@अति राष्ट्रवादी मुस्लिम संगठन “आरएसएसएफ इंडिया” के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री सूफ़ीसन्त फकीर ज़ियारतअली शाह मलंग ने “द्वितीय फकीर सत्याग्रह आन्दोलन” का किया शुभारंभ
@सहयोगी संगठन सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन का दो दिवसीय पैदल यात्रा का समापन में मुख्यमंत्री उ.प्र.एवं महामहिम राज्यपाल को दिया ज्ञापन
लखनऊ: सोमवार राष्ट्रीय संगठन महामंत्री सूफ़ी ज़ियारत अली शाह मलंग राष्ट्रीय शाह समाज फाउंडेशन इंडिया एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूफ़ी खानकाह एसोसिएशन ने दो दिवसीय पैदल यात्रा कानपुर से लखनऊ समापन के दौरान भारत में कट्टरपंथी इस्लामिक संगठनों को प्रतिबंधित एवं सूफ़ीसन्त फकीरों की सुरक्षा संरक्षण और उनका पुनरुत्थान कराने के लिए उ.प्र.मुख्यमंत्री एवं महामहिम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है।
अति राष्ट्रवादी मुस्लिम संगठन आरएसएसएफ इंडिया के आह्वान पर राष्ट्रीय संगठन महामंत्री सूफ़ीसन्त फकीर ज़ियारतअली शाह मलंग ने “द्वितीय फकीर सत्याग्रह आन्दोलन” का शुभारंभ किया है।
यह “द्वितीय फकीर सत्याग्रह आन्दोलन” फ़्रीडमफ़ाइटर फकीर मजनूं शाह मलंग सत्याग्रह ( 2FM SMS ) आंदोलन से पूर्णतयः प्रभावित है।
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबा मजनूं शाह मलंग जी के नेतृत्व में ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ बंगाल में सन् 1763 में एक सत्याग्रह हुआ। इसे फकीर आंदोलन सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है। अंग्रेजों द्वारा ग़रीब किसानों से जबरदस्ती कर वसूलना व नश्लीय भेदभावपूर्ण रवैया से तंग आकर शहीद मजनू शाह मलंग 26 जनवरी 1788 को जंगे-आज़ादी में अंग्रेजों से लड़ते हुए कानपुर मकनपुर में शहीद हो गए, आप ने फकीर और हिन्दू संयासियों के साथ मिलकर 1762 से 1788 तक लगतार जंग लड़ते रहे। इन तथ्यों से समझा जा सकता है कि फकीर आंदोलन अखण्ड भारत के इतिहास में कितना महत्वपूर्ण था. सम्पूर्ण भारत के फकीरों में द्वितीय फकीर आंदोलन से जुड़ाव ही “बाबा मजनूं शाह मलंग का सपना अखण्ड भारत हो अपना” को साकार करने के लिए अपने समाज की आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ से आजादी में शहीद हुए सैकड़ो फकीर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी देश के लिए प्रतीक बन जाएंगे। और इस पूरे आंदोलन के पीछे एक दबा कुचला पिछड़ा मुस्लिम समाज जो हजारों सालों से ट्राईबल ( घुमंतु जाति ) के रूप में देश की सेवा कर रहा है उसे एक नई पहचान मिल जाएगा।
देश में लाखों भूमिहीन मजदूर एवं गरीब फकीर ट्राईबल जाति को सरकार मेनधारा में लाने के लिये बाध्य हो जाएगी। देश को नया नेता और फकीर समाज का सुरक्षा, संरक्षण एवं पुनरुत्थान को नई तरह की राजनीति मिलने का भरोसा पैदा होगा। आज भी नश्लीय भेदभावपूर्ण राजनीति करने वाले लोग आजाद भारत में फकीरों पर जुल्म, अत्याचार कर रहे हैं। आप को बताते चलें कि सन् 2020 में केंद्रीय अधिकारी आरएसएस डा. इन्द्रेश कुमार जी से मलंगों ने समाज की सारी समस्याएँ बताईं। उधर सरकार भी हरकत में आ गई। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चांदनी शाह बानो को राष्ट्रीय स्तर पर “आत्मनिर्भर शसक्त भारत नारी शसक्तीकरण” पर कार्य करने के लिए खुली छूट दे दी। हजारों फकीरों की भीड़ सभाओं में जमा होने लगी। मलंगों के समर्थन में दम मदार बेड़ा पार के नारे लगाये जाने लगे ।
संगठन के माध्यम से वर्तमान में द्वितीय फकीर सत्याग्रह आंदोलन का सफल नेतृत्त्व किया जा रहा है। इनका उद्देश्य लोगों को फ़्रीडमफ़ाइटर फकीर मजनूं शाह मलंग सत्याग्रह ( 2FM SMS ) के मूल सिद्धातों से परिचय कराना है। डर से स्वतंत्र होना, फकीर शब्द की शर्मिंदगी से स्वतंत्र होना। आधुनिक युग में मलंगों के इस अभियान से सरकार में पसमांदा मुस्लिमों को सबसे ज्यादा फ़ायदा मिलेगा। सारे भारत का ध्यान अब द्वितीय फकीर सत्याग्रह आन्दोलन पर है। सूफ़ीसैय्यद ज़ियारत अली शाह मलंग हक्कानी ने भारत में फकीर सत्याग्रह आंदोलन का द्वितीय विजय शंख लखनऊ से फूँका है। पूरे देश से समाज के लोग आगे आ रहे हैं। यह फकीर सत्याग्रह आंदोलन द्वितीय है परंतु आज़ाद भारत का गुलाम पसमंदा समाज का प्रारंभिक आंदोलन के नाम से जाना जाएगा।,,,,,,,,,,,, इंडिया एक्सप्रेस न्यूज,,,,नबी अहमद,,, दिनेश,,,,,की रिपोर्ट,,,,