प्रसिद्ध जैन संत विज्ञान सागर महाराज के दर्शनों को छपरौली में उमड़ी भीड़
– जैन इतिहास में पहली बार होगा 25 नवम्बर को भगवान के गर्भ में आने पर रत्न वृष्टि महामहोत्सव का भव्य आयोजन, दूर-दराज क्षेत्रों से पहुॅंचेगें हजारों की संख्या में जैन श्रद्धालु
– त्रिशिखर मंदिर श्री 1008 महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर में भगवान महावीर स्वामी, भगवान पार्श्वनाथ और भगवान शांतिनाथ जी की प्रतिमाओं का 6 माह में होगा पंचकल्याणक
बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन।
बागपत के छपरौली नगर में पहली बार भगवान के गर्भ में आने पर रत्न वृष्टि महामहोत्सव का आयोजन होगा। समस्त आयोजन उत्तर भारत के प्रसिद्ध जैन संत ऐल्लक श्री 105 विज्ञान सागर जी महाराज के पावन सानिघ्य में सम्पन्न होगा। महोत्सव को विधि-विधान के साथ सम्पन्न कराने के लिए विज्ञान सागर जी महाराज का छपरौली नगर में मंगल प्रवेश हो चुका है और दूर-दराज क्षेत्रों से आये श्रद्धालुगण त्यागी भवन संत निवास में उनके दर्शन कर रहे है और आशीष वचन प्राप्त कर रहे है। अनिल जैन बस वालों ने बताया कि अभीक्ष्ण ज्ञानोपयोगी 108 आचार्य श्री वसुनंदी जी महाराज के मंगल आर्शीवाद और मुनि श्री 108 शिवानंद जी महाराज व मुनि श्री 108 प्रशमानंद जी महाराज की पावन प्रेरणा से 6 माह में श्री 1008 महावीर दिगम्बर जैन मन्दिर में भगवान महावीर स्वामी, भगवान पार्श्वनाथ और भगवान शांतिनाथ जी की प्रतिमाओं के पंचकल्याणक होगें। पंचकल्याणक से ठीक 6 माह पहले भगवान के गर्भ में आने पर रत्न वृष्टि महामहोत्सव का शुभारम्भ उत्तर भारत के प्रसिद्ध जैन संत ऐल्लक श्री 105 विज्ञान सागर जी महाराज के पावन सानिध्य में आरम्भ होगा। बताया कि रत्न वृष्टि महामहोत्सव का आयोजन जैन इतिहास में पहली बार होगा। रत्न वृष्टि महामहोत्सव के कार्यक्रम 24 नवम्बर से 25 नवम्बर को होंगे, जिसमें संगीतमय भजन संध्या, देवाज्ञा, श्री जी का अभिषेक व शांति धारा, विधान, रथयात्रा मुख्य आकर्षण का केन्द्र होंगे। बताया कि श्री मज्जिनेन्द्र जिनविम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव समिति छपरौली द्वारा समस्त कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा, जिसमें श्री 1008 पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मन्दिर समिति, श्री सौरभ सागर सेवा समिति, आचार्य श्री वसुनंदी जी महाराज युवा मंच, महिला मित्र मंड़ल की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इस अवसर पर शौर्य जैन, निताली जैन, रोहित जैन, बालेश जैन, अशोक तिवारी, अभिषेक जैन सहित अनेकों श्रद्धालुगण उपस्थित थे।