पर्यावरण को प्रदूषित कर रहे कोल्हू
बहसूमा। कस्बे के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे गन्ना कोल्हूओं के द्वारा गुड पकाए जाने को लेकर चमड़े की कतरन, गाड़ियों के जले कटे फटे टायर को जलाकर पर्यावरण को दूषित करते हुए धुंए के रूप में जहर उगल रहे गन्ना कोल्हूओ पर आखिर कब शिकंजा कसा जाएगा। बता दें कि प्रदूषण नियंत्रण विभाग के द्वारा किसानों के धान की पराली जलाने को लेकर तो सख्त कदम उठाते हुए रोक लगा दी गई है। और साथ ही ग्रामीण आंचल क्षेत्रों में पर्यावरण को दूषित करते हुए धुंए के रूप में जहर उगल रहे गन्ना कोल्हूओ की चिमनियों पर विभागीय कार्रवाई आखिर कब होगी। गन्ना कोल्हू संचालकों के पास न तो प्रदूषण विभाग से क्लीन चिट मिली हुई है। और ना ही किसी भी गन्ना कोल्हू संचालक पर पर्यावरण दूषित करने को लेकर आज तक कोई कार्रवाई की गई है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित वह गन्ना कोल्हू गुड पकाने के लिए बहुत बड़े पैमाने पर गाड़ियों के कटे-फटे टायर, चमड़े की कतरन आदि की झुकाई करके गुड पकाने का कार्य कर रहे हैं जिसके चलते चिमनी से निकलने वाले धुंए से अस्थमा के रोगियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। और साथ ही इन चीजों से निकलने वाला धुआं आम के बागों में लगे पेड़ों पर इस कदर जम जाता है कि उस पर फल भी नहीं आता है।