सिसाना में श्री श्यामनाथ महाराज जी के भंड़ारे में उमड़ा जनसैलाब
– सिसाना-निरोजपुर रोड़ पर स्थित श्री श्यामनाथ महाराज जी की समाधि पर हर वर्ष अखण्ड़ रामायण पाठ के साथ होता है विशाल भंड़ारे का आयोजन
– श्री श्यामनाथ महाराज नाथ सम्प्रदाय से सम्बन्धित एक महान साधु व संत थे जिनको अनेकों आलौकिक सिद्धियां प्राप्त थी – विनीत चौहान
बागपत, उत्तर प्रदेश। विवेक जैन।
जनपद बागपत के सिसाना-निरोजपुर रोड़ पर स्थित श्री श्यामनाथ महाराज के चमत्कारी धाम में हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी अखण्ड़ रामायण पाठ और विशाल भंड़ारे का आयोजन किया गया। भंड़ारे में उत्तर भारत के विभिन्न जनपदों से आये सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। महाराज श्री के परमभक्तों में शुमार विनीत चौहान ने बताया कि महाराज श्री मूल रूप से बागपत के ग्राम सिसाना के रहने वाले थे। महाराज श्री के पिता का नाम कलशाराम चौहान और माता का नाम मामकौर था। महाराज श्री 9 भाई व 1 बहन में दूसरे नम्बर के थे। बचपन से ही उनकी धार्मिक कार्यो में विशेष रूचि थी। महाराज श्री ने वर्ष 1971 में 30 से 35 वर्ष की आयु में नाथ सम्प्रदाय से सन्यास की दीक्षा ली। इसके उपरान्त उन्होंने सम्पूर्ण देश का भ्रमण किया और इस दौरान उन्होंने तप के माध्यम से अनेकों सिद्धियां हासिल की। इस दौरान महाराज श्री के महान व्यक्तित्व व ज्ञान से प्रभावित होकर सम्पूर्ण देश में उनके सैकड़ो शिष्य बने। बताया कि 8 नवम्बर 1987 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन पतला, सोनीपत, हरियाणा में महाराज श्री ने देह त्याग किया और अश्विन मास की प्रथम तिथि 9 नवम्बर 1987 को बागपत के सिसाना-निरोजपुर मार्ग पर उनको समाधी दी गयी। बताया कि श्री श्यामनाथ जी महाराज जी सें संबद्ध मुख्य आश्रम गढ़ सरनाई पानीपत हरियाणा में है। बताया कि हर वर्ष कार्तिक पूर्णिमा को महाराज श्री की सिसाना-निरोजपुर रोड़ पर स्थित समाधि पर अखण्ड़ रामायण और सतसंग का आयोजन किया जाता है और अश्विन मास की प्रथम तिथि को विशाल भंड़ारे का आयोजन किया जाता है जिसमें देशभर के विभिन्न राज्यों से आये श्रद्धालुगण भाग लेते है। सिसाना गांव के रहने वाले महाराजश्री के शिष्यों में से एक हुकुम सिंह ने बताया कि वर्तमान में महाराज श्री की समाधी की देखभाल महाराज श्री के 7 वें नम्बर के भाई व महाराज श्री के परम भक्त ब्रहमपाल जी कर रहे है। समाधि स्थल पर भगवान शिव परिवार, भगवान हनुमान सहित अनेकों देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान है। गुरू श्री ब्रहमपाल सिंह ने बताया कि महाराज श्री की मुख्य प्रतिमा जयपुर राजस्थान से बनवाकर समाधि स्थल पर स्थापित की गयी है। महाराज श्री के चौथे नम्बर के भाई आजाद सिंह चौहान ने बताया कि भंड़ारे में मुख्य यजमान गुरू श्री ब्रहमपाल और यजकर्त्ता पंड़ित अर्जुन मिश्रा रहे। इस अवसर पर प्रमुख सामाजिक कार्यकर्त्ता एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार विपुल जैन, अभिषेक, प्रदीप क्राकरी वाले बागपत, हुकुम सिंह, जौहर सिंह, राकेश शर्मा, तारावती, क्रांति, सीमा, अंकिता, प्रेम, बीना सहित सैंकड़ो की संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित थे।