*श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ – छठवें दिवस
कथा प्रसंग आज कृष्ण मथुरा गमन कसं वध उत्सव भ्रामगीत*
डॉ0कल्प राम त्रिपाठी ब्यूरोचीफ गोण्डा
*गोवर्धन पूजा महारास लीला छप्पन भोग का प्रसाद व पौधा का किया गया वितरण*
खबर गोंडा जनपद से हैं जहां पर गोंडा शहर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान कथा का छठवें दिन आज शाम की कथा प्रसंग कृष्ण मथुरा गमन कसं वध उत्सव भ्रामगीत दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के आशुतोष महाराज जी की शिष्य सुश्री पद्महस्ता भारती कथा गोवर्धन पूजन व महारास लीला के प्रसंगों को प्रस्तुत किया वहीं गोवर्धन शब्द का अर्थ बताते हुए कहा
अर्थात् जिस संकल्प के द्वारा गो यानि गऊ माता की संख्या में वृद्धि हो, उसे ही गोवर्धन पूजा कहा जाता है। संस्थान के देसी ‘गौ संरक्षण व संवर्धन कार्यक्रम- कामधेनु’ की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गौ भारतीय संस्कृति का आधार है। भगवान् श्री कृष्ण कहते हैं- ‘ धेनूनामस्मि कामधुक’- धेनुओं में मैं कामधेनु हूँ। इस प्रकार गौ को उन्होंने अपनी ही विभूति बताया व सदा ही गोरोचन का तिलक अपने मस्तक पर सुशोभित किया। परंतु फिर भी आज देसी नस्लें लुप्त होती जा रही हैं। गोवध समाज के लिए एक कलंक बन चुका है। इसलिए गौ संरक्षण व संवर्धन की परम आवश्यकता है ।इसी कारण से श्री आशुतोष महाराज जी के दिशा – निर्देशन में संस्थान द्वारा कामधेनु प्रकल्प चलाया जा रहा है। जिसके अंतर्गत देसी गौ की वृद्धि हेतु जन-जन को प्रेरित और प्रोत्साहित किया जा रहा है। साध्वी जी ने स्वयं व्यास पीठ से गोंडा वासियों के माध्यम से पूरे विश्व से गौ माता के संरक्षण की अपील की। कहा
भगवान कृष्ण के द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी और गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।जब गुरु गार्गाचार्य ने कृष्ण को याद दिलाया कि वह कौन हैं और उनके जीवन का ध्येय क्या है, तो गोवर्धन पर्वत पर खड़े-खड़े कृष्ण को एक तरह का बोध हुआ। फिर भी, गोकुल, गायों और गोप-गोपियों के लिए अपने प्यार के कारण उनका मन अब भी उहापोह में था। कृष्ण अब भी अपनी हर प्रिय चीज छोड़ने के लिए एक मजबूत संकेत का इंतजार कर रहे थे और उनके मन में उन चीजों के लिए आकर्षण अब भी मौजूद था।
क्या आप जानते हैं जब लॉकडाउन लगा था लोग घरों में कैद थे तब गाय रोड पर थी हमारी नदियां का जल शुद्ध वातावरण और स्वच्छ जल था आज क्या है कि । कथावाचक साध्वी सुश्री सुश्री पद्महस्ता भारती के साथ साध्वी सुश्री वंदना भारती अभिनंदन, प्रति भारती, स्वामी करुणेशानन्द शिवम, श्रेष्ठ राना योगेश इत्यादि उपस्थित हुए कामाख्या दरबार के विश्वनाथ मिश्रा अरुण कुमार शुक्ला राजू ओझा पूर्व ब्लाक प्रमुख कमलेश पाठक दीप प्रज्वलन व भव्य आरती हुए शामिल कथा के आयोजक स्वामी अर्जुन आनंद जी कमल महात्मा यशवीर महात्मा श्री राम स्वामी जी पंडित जगदीश तिवारी, जितेंद्र पंडित विष्णु स्वामी महिलाओं की टीम में रितु जायसवाल विद्यावती मिश्रा श्रीमती किरण मिश्रा श्रीमती हरकेश सिंह मिथलेश सिह रेनू श्रीवास्तव सावित्री सिह सुषमा मिश्रा निर्मला सिंह किरन सिह दीप्ती शर्मा सुमन पाल , अलका पांडे किरण पांडे भव्य आरती हुई शामिल पंडित जगदीश तिवारी, ने यजमान रामकरण मिश्रा वरिष्ठ एडवोकेट, संतोष कुमार जायसवाल, अजय कुमार जायसवाल जमुना प्रसाद मिश्रा राजकुमार जायसवाल, जगदीश जायसवाल गायत्री परिवार राम तेज तिवारी, श्री चंद गुप्ता अरुण कुमार शुक्ला दोनों यजमान की तरफ से छप्पन भोग मिस्ठान प्रसाद का हुआ वितरण कथा सुनने आए भक्त गणों में तुलसी सहजन पौधे का किया गया वितरण ।
विजुअल
कथा के आयोजक स्वामी अर्जुन नंद की बाइट