हाईकोर्ट ने नगर पालिका परिषद सीमा विस्तार पर सरकार से किया जवाब तलब

हाईकोर्ट ने नगर पालिका परिषद सीमा विस्तार पर सरकार से किया जवाब तलब

 

कर्नलगंज, गोण्डा । नगर पालिका परिषद कर्नलगंज अध्यक्ष रजिया ख़ातून पत्नी शमीम अच्छन ने लखनऊ हाईकोर्ट में एक रिट याचिका योजित की थी, जिसमें नगर पालिका कर्नलगंज के सीमा विस्तार को चुनौती दी गई थी। याची के अधिवक्ता शरद पाठक एवं ऋषभ त्रिपाठी ने लखनऊ हाईकोर्ट में बहस के दौरान बताया कि नगर पालिका परिषद कर्नलगंज का सीमा विस्तार नगर पालिका अधिनियम, 1916 की धारा 3 व 4 एवं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 के प्रावधानों को ताक पर रख कर किया जा रहा है। साथ ही साथ धार्मिक आधार पर उन ग्राम सभाओं को जोड़ा जा रहा है जिसमें अल्पसंख्यक आबादी या तो बिल्कुल नहीं है या ना के बराबर है। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रस्तावित ग्राम सभा नारायणपुर माँझा आंशिक, पिपरी आंशिक, सकरौरा ग्रामीण आंशिक, कादीपुर आंशिक, कुम्हरगढ़ी एवं करूवा आंशिक नगर पालिका कर्नलगंज के मौजूदा क्षेत्र से काफी दूर हैं। अतः इन ग्रामीण इलाक़ों को नगर क्षेत्र में जोड़ना विभिन्न सरकारी आदेशों का उल्लंघन है एवं संविधान की मंशा के ख़िलाफ़ है। याचिका में भारतीय जनता पार्टी के पूर्व नगर मण्डल अध्यक्ष संजय सैनी, पूर्व विधायक कर्नलगंज कुंवर अजय प्रताप सिंह उर्फ़ लल्ला भैया के पत्रों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें राजनैतिक दुर्भावना एवं धार्मिक आधार पर नगर पालिका के सीमा विस्तार करने के लिए शासन से कहा गया था। जिस पर संज्ञान लेते हुए तत्कालीन नगर मजिस्ट्रेट वंदना त्रिवेदी उपजिलाधिकारी कर्नलगंज ने अन्य सरकारी अधिकारियों से 5.12.2020 को आख्या माँगी थी। जिस पर नगर पालिका परिषद, करनैलगंज ने 30 दिसंबर 2020 को प्रस्ताव पास करके प्रस्तावित सीमा विस्तार का विरोध दर्ज कराया था, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के दबाव के चलते शासन ने 26.7.2022 को नोटिफ़िकेशन के माध्यम से जनमानस से आपत्तियाँ माँगी। जिस पर नगर पालिका परिषद कर्नलगंज समेत कई प्रस्तावित ग्राम सभाओं द्वारा सीमा विस्तार के ख़िलाफ़ आपत्तियाँ शासन को भेजी गई थीं। जिसको नज़र अन्दाज़ करते हुए उपजिलाधिकारी कर्नलगंज ने 11 अगस्त 2022 को ग़ैरकानूनी तरीक़े से नया प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेज दिया था। याचिका के अधिवक्ताओं ने कहा कि प्रस्तावित ग्रामसभाएं अगर कर्नलगंज शहरी क्षेत्र में जोड़ी जाती हैं तो उन पर अत्यधिक कर भार पड़ेगा। जिससे ग़रीब लोगों व किसानों की कमर टूट जाएगी। उपरोक्त मामले में लखनऊ हाईकोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार से जवाब तलब किया है कि प्रस्तावित ग्राम सभायें मौजूदा नगर पालिका क्षेत्र से कितनी दूरी पर हैं। वहीँ मामले में न्यायालय ने तल्ख़ टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या सरकार छोटे-छोटे टापू बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि मामले में सरकार को नियत तिथि में जवाब पेश करने को कहा गया है और अगली सुनवाई 23 सितंबर शुक्रवार को की जाएगी।

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