कोविड वैक्सीन की जज को भेजी गयी फर्जी ओटीपी के मामले में सीएचसी कर्नलगंज अधीक्षक द्वारा दी गई फर्जी रिपोर्ट

कोविड वैक्सीन की जज को भेजी गयी फर्जी ओटीपी के मामले में सीएचसी कर्नलगंज अधीक्षक द्वारा दी गई फर्जी रिपोर्ट

 

सीएचसी प्रशासन सवालिया घेरे में, कई कारनामों को लेकर चर्चा में रह चुके हैं सीएचसी कर्नलगंज के अधीक्षक डा० सुरेश चंद्रा

 

कर्नलगंज, गोण्डा। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से जज को भेजी गई कोरोना वैक्सीन की फर्जी ओटीपी के हाई प्रोफाइल मामले में दोषी बनाये गए स्वास्थ्य कर्मी को दोषमुक्त पाया गया जबकि अधीक्षक द्वारा उसे दोषी बताते हुए कार्यमुक्त किया गया था। जिससे सीएचसी प्रशासन सवालिया घेरे में है।

 

प्रकरण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कर्नलगंज से जुड़ा है। यहां पर बलरामपुर जिले के जज को कोरोना वैक्सीन की फर्जी ओटीपी उनके मोबाइल नंबर पर भेज दी गयी। मामला जज महोदय से जुड़ा होने के नाते मामले की जांच करने बलरामपुर पुलिस स्थानीय सीएचसी आयी। उसी दौरान डॉक्टर सुरेश चंद्र द्वारा आनन फानन में स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मी निरंकार पाण्डेय को दोषी मानकर उसे कार्य मुक्त कर दिया गया और सारा दोष उसके ऊपर मढ़ दिया। तथा उसे सीएमओ कार्यालय से संबंद्ध करने की कार्यवाही करते हुए उच्चाधिकारियों को पत्र प्रेषित कर दिया। मामले में पीड़ित निरंकार पाण्डेय द्वारा डीएम समेत अन्य आला अधिकारियों को भेजे गए पत्र व लम्बी जांच प्रक्रिया के बाद विभाग द्वारा निष्पक्ष जांच में डॉक्टर सुरेश चंद्र द्वारा भेजी गई गलत रिपोर्ट को नकारते हुए स्वास्थ्य कर्मी निरंकार पाण्डेय को दोषमुक्त माना गया। दोषारोपण का यह मामला यहीं खत्म नहीं हो रहा है अब प्रश्न यह है कि यदि डॉक्टर सुरेश चंद्र द्वारा भेजी गई रिपोर्ट गलत है तो आखिर दोषी कौन है? जिसे बचाने के लिए इस प्रकार का षड्यंत्र रचकर एक निर्दोष को परेशान किया गया। लोगों में अब चर्चा यह है कि हाई प्रोफाइल मामले में इस प्रकार से फर्जी रिपोर्टिंग करने और जज साहब को गलत ओटीपी भेजने वाले दोषी और उनको बचाने वालों पर क्या और कब कार्रवाई होगी? जहां तक डॉक्टर सुरेश चंद्र की कार्यशैली का सवाल है तो वह पहले से ही कई कारनामों को लेकर चर्चा में रहे हैं। बताते चलें कि सीएचसी अधीक्षक की कार्यशैली को लेकर गोंडा सदर के विधायक प्रतीक भूषण सिंह द्वारा सीएम को पत्र लिखकर कई गंभीर आरोप लगाये जा चुके हैं।विधायक द्वारा 2019 में उनकी जांच करवाकर उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की भी मांग की जा चुकी है। सीएम को भेजे गए पत्र में सदर विधायक ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अधीक्षक सुरेश चन्द्र पर शासन की मंशा के विपरीत प्राइवेट प्रैक्टिस व बाहर की दवाइ‌यों के व्यापारीकरण में रुचि लेकर व्यापक पैमाने पर लूट खसोट, स्वास्थ्य सुविधाओं के प्रति बेहद लापरवाही के साथ ही बीते 13 नवंबर 2019 को एम्बुलेंस से लाई गई गर्भवती महिला का प्रसव “गेट के बाहर स्थानीय महिलाओं द्वारा अस्पताल गेट पर डाक्टर व अन्य कर्मचारियों की गैर मौजूदगी में कराए जाने जैसे कृत्यों के द्वारा सरकार की क्षवि धूमिल करने जैसे गंभीर आरोप लगाए जा चुके है। मालूम हो कि अपनी अलग कार्यशैली को लेकर सुर्खियों बटोरने में माहिर सीएचसी अधीक्षक डा० सुरेश चंद्र कभी प्राइवेट प्रैक्टिस तो कभी अस्पताल में नवजात शिशु बदले जाने के मामले में तो कभी सरकार की मंशा के विपरीत जन विरोधी कार्यशैली के चलते काफी चर्चा में रहे हैं। अब नए विधायक से क्षेत्र की जनता को बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन लोगों को यह सवाल मथ रहा है कि क्या सदर विधायक प्रतीक भूषण सिंह द्वारा अधीक्षक पर लगाए गए आरोप और सीएचसी में फैली अव्यवस्थाओंं का संज्ञान लेकर जनता को राहत दिलाएंगे। यही नहीं जिलेेे की रेफरल यूनिट का दर्जा प्राप्त सबसे बड़ी सीएचसी लम्बे समय से डॉक्टरों की भारी कमी सेेे जूझ रही है जिससे लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पा रही है जो सीएचसी प्रशासन को सवालिया कटघरे में खड़ा कर रही है ।

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