* छपिया थाना प्रभारी न्यायालय में तलब, कोर्ट के रिलीजिग आदेश के 20 दिन बाद भी नही छोड़ा ट्रक
* दो हजार प्रतिदिन के हिसाब से मालिक को देना पड़ रहा है किस्त व टेक्स
गोण्डा-कोर्ट के रिलीजिग आदेश के बावजूद ट्रक को न छोड़ने पर न्यायालय की अवमानना में थाना प्रभारी छपिया को एफटीसी जूनियर डिवीजन के अदालत ने तलब किया है।
अवगत हो कि थाना छपिया अन्तर्गत ग्राम खालेगांव निवासी इरशाद के पास ट्रक था जो भाडे पर सामान ढुलाई का कार्य करते है। 30 अक्टूबर 0 21 को भाड़े पर अपनी गाडी संख्या UP51T 6210 पर काबिल गिनडा सागौन 54 बोटा लकडी ले जाते समय थाना छपिया पुलिस ने पकड लकडी व ट्रक को उत्तर प्रदेश ग्रामीण वृक्ष अधिनियम 4/10 के तहत सीज कर दिया था। ट्रक मालिक इरशाद के पक्ष में न्यायालय एफटीसी जूनियर डिवीजन गोण्डा ने 7 मई 022 को गाड़ी ट्रक को छोड़ने का आदेश निर्गत किया। उक्त आदेश की प्रति 11 मई 022 को थाने के पैरोकार को न्यायालय ने रिसीव कराई थी।आदेश का हवाला देते हुए ट्रक मालिक अपनी गाड़ी थाने पर लेने पहुंचा तो थाने प्रभारी इंस्पेक्टर संदीप सिंह ने गाड़ी छोड़ने से इन्कार करते हुए कहा कि वन विभाग से 52/ D के कार्यवाही के सम्बन्ध में आदेश नही लायेंगे तब तक गाड़ी आप के पक्ष में नही रिलीज की जायेगी।
पीड़ित वन विभाग सादुल्लाहनगर रेंजरी कार्यालय गया तो वन विभाग ने लिखने से इन्कार कर दिया यह कहते हुए कि हमारे यहां कोई कार्रवाई नही हुई है हम कैसे लिखकर दे। इधर-उधर की भाग दौड के बाद पीड़ित ट्रक मालिक इरशाद ने 19 मई 022 को पुनः न्यायालय एफटीसी जूनियर डिवीजन की अदालत में अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपील करते हुए कहा कि गाड़ी की 18 हजार रूपए प्रतिमाह की फाइनेंसर को किस्त देनी पड़ती उसके बाद बीमा, रोड टेक्स देना पडता है जो प्रतिदिन के हिसाब से गाड़ी पर देय पड रहा है।ऐसे में कोर्ट के आदेश की आवमानना करते हुए गाड़ी नही छोडी जा रही है।
जिस पर न्यायालय एफटीसी जूनियर डिवीजन गोण्डा की अदालत ने 26 मई 022 को एक आदेश के माध्यम से 02 जून 022 को थाना प्रभारी छपिया इंस्पेक्टर संदीप सिंह को अदालत में तलब किया है।ट्रक मालिक मालिक लगभग 2 2. दिनो से थाने व कोर्ट का चक्कर लगा रहा है।
* क्या कहते हैं अधिकारी क्या कहते है
वन विभाग के वन क्षेत्राधिकारी सादुल्लाहनगर शुशील चतुर्वेदी की माने तो 52/D की कार्रवाई जंगली/वन विभाग की लकडी बरामद होने पर की जाती है ऐसे में लकड़ी व गाड़ी दोनो वन विभाग की सुपुर्दगी में होती है।उसके लिए वन विभाग जिम्मेदार है। उक्त प्रकरण में 4/10 की कार्रवाई सम्बन्धित थाने से की गयी है ऐसे में वन विभाग का कोई उत्तर दायित्व नही बनता है। ऐसे में थाना प्रभारी द्वारा 52/D का हवाला देकर कोर्ट के आदेश पर गाड़ी न मालिक को देना खेद पूर्ण है।