*बच्चों के साथ बैठ कर देखना भी अब बड़ी शर्मिंदगी..!!*

*बच्चों के साथ बैठ कर देखना भी अब बड़ी शर्मिंदगी..!!*

 

 

*खेलने कूदने की उम्र में बच्चों को ऐसे विज्ञापन दिखा कर कंपनियां क्या हासिल करना चाहती..?*

 

 

ग्लैमर की दुनिया में अश्लीलता जैसा कोई शब्द नहीं होता यहां ज्यादातर सितारों व न्यूज़ चैनलों ने अपनी कामयाबी के लिए ऐसे ऐसे काम किये जो देखकर आपको हमे अजीब लगेगा और शर्म भी आएगी! इन्होंने अक्षर फिल्मों के बीच विज्ञापन के नाम पर बड़ी अश्लीलता को जोड़ा है हुआ है!आखिर ऐसे कैसे किसी को परिवार के बीच में बैठकर पोर्न (अश्लीलता)

जैसा कुछ भी देखने को मजबूर किया जा सकता है? अब तो घर में बच्चों के साथ बैठ कर समाचार देखना भी बड़ी शर्मिंदगी का काम हो गया है!आजकल अनेक न्यूज चैनलों पर हर ब्रेक में एक नीरोध का प्रचार आता है और इस प्रचार में आती है एक अंतरराष्ट्रीय पेशेवर! क्या ये लोग किसी भी वस्तु के प्रचार को सभ्य ढंग से नहीं दिखा सकते? क्या हर सामान को बेचने के लिए चाहे वह एक पानी की बोतल हो या अंडरवियर और बनियान चाहे वह परफ्यूम हो या शेविंग ब्लेड इनके विज्ञापनों में अधनंगी लड़कियां चुंबन दृश्य भद्दे तरीके से लिपटा लिपटी दिखाना आवश्यक है? हद तो तब होती है जब एक बच्चा कमरे में बैठा कार्टून चैनल देख रहा होता है और बच्चों के उस कार्टून चैनल पर सेनेटरी नैपकीन का विज्ञापन आ जाता है! खेलने कूदने की उम्र में बच्चों को ऐसे विज्ञापन दिखा कर कंपनियां क्या हासिल करना चाहती हैं!क्या यह उपभोक्ता के देखने के अधिकार में सेंध नहीं है? मैं क्या देखूं क्या नहीं? यह कोई और तय करेगा क्या? ऐसे विज्ञापनों पर कोई कानूनी रास्ता अपनाया जा सकता है या नहीं?

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