अब उठ रहे सवाल पंचायतीराज मंत्री के पूरे कार्यक्रम से क्यों दूर रही जिला पंचायत अध्यक्ष
जयप्रकाश
सोनभद्र ।
सोनभद्र । जिला पंचायत के अंदरखाने में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा है । यूँ तो जिला पंचायत अक्सर अपने कारनामों को लेकर चर्चाओं में रहा करता है । इस बार भी जिला पंचायत अपने कारनामों को लेकर खासा चर्चा में है । जिला पंचायत द्वारा जिले में बैरियर ठेके के लिए टेंडर निकाला गया । टेंडर के लिए सभी ठेकेदारों ने टेंडर प्रक्रिया पूरी कर टेंडर भरा । सब कुछ ठीकठाक चल रहा था और अपने तय तिथि को नामित अधिकारियों के सामने टेंडर खोला गया जिसमें सर्वाधिक बोली 14 करोड़ 61 लाख लगाने वाले गीतांजलि इंटरप्राइजेज को टेंडर दे दिया गया।लेकिन टेंडर प्रक्रिया में उस वक्त ट्विस्ट आ गया जब अपर जिला पंचायत ने इस टेंडर को निरस्त कर दिया और दलील दी कि टेंडर प्रक्रिया में अध्यक्ष का विशेषाधिकार होता है
यहां बड़ा सवाल यह है कि यदि टेंडर प्रक्रिया में कोई कमी थी तो पहले जांच क्यों नहीं की गई । नियत तिथि को क्यों खोला गया । मजे की बात यह है कि निरस्तीकरण के अगले दिन जिले में पंचायतीराज मंत्री थे । यह मामला उनके सामने भी उठा लेकिन वे भी चुप्पी साधे नजर आए। मंत्री जी तो मीडिया के सभी सवालों का जबाब देने से पहले ही चलते बने ।
तो क्या इस पूरे प्रकरण में कोई बड़ा खेल चल रहा है । क्योंकि जिस तरह से योगी सरकार जीरो टॉलरेंस की बात करती है मगर सोनभद्र जिला पंचायत ने सरकार के उस दावे को ही दांव पर लगा दिया है ।चर्चा तो यह है कि जिला पंचायत किसी और को टेंडर देना चाहता था लेकिन जब टेंडर की बोली में पिछड़ गया तो अध्यक्ष ने विशेषाधिकार का प्रयोग कर पूरे टेंडर को निरस्त कर दिया । चर्चा तो यह भी जोरशोर स उठने लगा है कि टेंडर प्रक्रिया का मामला गर्म होते देख जिला पंचायत अध्यक्ष को पंचायतीराज मंत्री के कार्यक्रम से दूर रखा गया ताकि मीडिया का सामना न करना पड़े । क्योंकि हिन्दुआरी गांव में मंत्रीगणों के चौपाल में मंच पर प्रधान को स्थान दिया गया था लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं दिखी । और न ही उनकी कुर्सी लगी थी । जबकि उनके विभाग के मंत्री का यह पूरा कार्यक्रम था ।
जिला पंचायत का मामला दिनों दिन तूल पकड़ता जा रहा है । बीजेपी नेता अनिल द्विवेदी (गिरजाशंकर) ने पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी को पत्र सौंप कर जिला पंचायत के अपर मुख्य अधिकारी सहित वरिष्ठ लिपिक के खिलाफ आर्थिक संपत्तियों की जांच की मांग की है । बीजेपी नेता का आरोप है कि जिला पंचायत अपर मुख्य अधिकारी (AMO) व मुख्यनिर्माण वरिष्ठ लिपिक बंशीधर शर्मा के द्वारा भ्रष्ट ठेकेदारों का एक सिंडिकेट बनाकर जिला पंचायत में पर्याप्त भ्रष्टाचार व लुट किया जा रहा है ।बीजेपी नेता ने अपर मुख्य अधिकारी प्रदीप सिंह के ऊपर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इनकी तथा इनके पत्नी-बच्चों की सम्पूर्ण चल-अचल सम्पत्ति की उच्च स्तरीय जांच त्री-स्तरीय कमेटी बनाकर स्यम् अपनी निगरानी में करायी जाए । ताकि इनके भ्रष्टाचार की कहानी सार्वजनिक हो सके । वहीं जिला पंचायत के वरिष्ठ लिपिक द्वारा भी अथाह धन अर्जित किया गया है इनके संपत्तियों की भी जांच कराई जाए ।
कुल मिलाकर जिला पंचायत टेंडर प्रक्रिया को लेकर बुरी तरह फंस चुका है । जहां एक तरफ टेंडर निरस्त करने से उसकी किरकिरी हो रही है और तमाम आरोप लग रहे हैं वहीं अब खुद बीजेपी के नेता भी इस कार्यवाही को गलत बताते हुए जांच की मांग कर रहे हैं ।अब देखना यह दिलचस्प होगा कि जीरो टॉलरेंस की सरकार इस विवाद को कैसे सुलझाती है ।