*एक बार मुफ्त की आदत पड़ जाए तो अगली बार राजनीतिक दलों को उससे अधिक लालच देकर ही वोट मांगने पड़ेंगे..!*

*एक बार मुफ्त की आदत पड़ जाए तो अगली बार राजनीतिक दलों को उससे अधिक लालच देकर ही वोट मांगने पड़ेंगे..!*

 

*सबसे महत्त्वपूर्ण देश के किसान हैं जिन्होंने देश के उत्पादन को संभाले रखा..!*

 

*मुफ्त की राजनीति से बाहर आकर जनता के पैसे की उपयोगिता को समझें..!!*

 

मुफ्त की योजनाओं का परिणाम आज श्रीलंका में दिख रहा है श्रीलंका की बारह प्रतिशत जीडीपी पर्यटन पर निर्भर थी पर आज वह महंगाई और कर्ज से इतनी बुरी तरह त्रस्त है कि जनता का सामान्य जीवन बेहाल हो गया इसके पीछे मुख्य कारण मुफ्त सुविधाओं की राजनीति है!हमारे देश भारत में भी चुनावी मौसम में कई मुफ्त की सेवाओं के वादे किए गए! श्रीलंका का हाल देख कर अब सचेत हो जाना चाहिए! किसानों को कृषि के लिए प्रशिक्षण संसाधनों में छूट सही बीज फसलों के सही दाम मिल जाएं इतना ही बहुत है!सबसे महत्त्वपूर्ण बात है कि जब आपको कोई वस्तु बिना किसी लागत के मिलती है तो उसका मूल्य अपने आप कम हो जाता है! मुफ्त में मिली वस्तु का जनता महत्त्व भी नहीं समझती! एक बार जनता को मुफ्त की आदत पड़ जाए तो अगली बार राजनीतिक दलों को उससे अधिक लालच देकर ही वोट मांगने पड़ेंगे! जनता के कर से अर्जित धन को वोटबैंक के लालच में लुटा देना कतई सही नहीं!देश के उद्योगपति तो इस संबंध में केंद्र सरकार को चेता भी चुके हैं!सबसे महत्त्वपूर्ण देश के किसान हैं जिन्होंने देश के उत्पादन को संभाले रखा है! आज भारत श्रीलंका को खाद्यान्न सहयोग दे रहा है!अब जिम्मेदारी हमारी है कि इस मुफ्त की राजनीति से बाहर आकर जनता के पैसे की उपयोगिता को समझें! वरना कहीं ऐसा न हो कि बिजली पानी मुफ्त लेने के चक्कर में आप भारत को ऐसे हाथों में सौंप दें जो देश की स्वतंत्रता और गणतंत्र के लिए ही खतरा बन जाए!!

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