अब तो सुधर जाइये, भारत को समझिये और भारतीय संस्कृति का सम्मान करिये।
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आज कुछ मूर्ख लोग मूर्खता दिवस यानी की फूल डे मना रहे हैं।
अरे जानवरों कुछ तो विचार करो की आखिर क्यों कैसे किसने इस दिन को फूल डे बना दिया।
जब इसी दिन से देश का बजट लागू होता है।
इसी दिन से जीवन का आधार शिक्षा सत्र शुरू होता है।
इसी दिन से नया वित्तीय वर्ष शुरू होता है।
आज ही सभी व्यपारी भाई अपना बही खाता नये रजिस्टर पर नये सिरे से शुरू किये है।
हर तरफ नवीनता है यहां तक की वृक्षो में नये पत्ते आ गए आम में बौर आ गये।
महुये गिरने लगे, किसानों के घर सरसो आलू आ चुका है।
गेंहूँ के फसल लहलहा रहे हैं।
किसान बच्चे बूढ़े सब खुश हैं।
हमारे नये वर्ष का स्वागत उत्सव कल मनाया जाना है।
हर घर में शक्ति और भक्ति के नौ दिन नवरात्रि की धूम कल से मची रहेगी।
और वो इतनी सारी खुशियों को छोड़कर अंग्रेजों के द्वारा दिया गया फूल डे मना रहे हैं।
अभी भी वक्त है सुधर जाये नही तो आज हम कह रहे हैं कल दुनिया जानवर कहेगी।
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सादर
पंकज त्रिपाठी