आपको याद होगा पिछले साल जितेंद्र जी की ये तस्वीर बहुत वायरल हुई थी। अपने छोटे भाई जूनियर महमूद के आखिरी वक्त में जितेंद्र उनसे मिलने हस्पताल पहुंचे थे। जूनियर की हालत देख जितेंद्र जी की आंखों में आंसू आ गए थे। जूनियर महमूद ने जितेंद्र जी के साथ कारवां फिल्म में काम किया था। जितेंद्र उनके बड़े भाई बने थे। उसी वक्त से जूनियर महमूद जितेंद्र जी को अपने बड़े भाई जैसा मानने लगे थे। जीवन के आखिरी पलों में जूनियर महमूद ने जितेंद्र जी से मिलने की ख्वाहिश ज़ाहिर की थी। जितेंद्र जी भी खबर मिलते ही जूनियर महमूद को आखिरी विदाई देने फौरन चले आए।
आज जूनियर महमूद का जन्मदिवस है। 15 नवंबर 1956 को जूनियर महमूद का जन्म मुंबई में हुआ था। एक इंटरव्यू में जूनियर महमूद ने कारवां फिल्म के बारे में बात करते हुए एक रोचक बात बताई थी। जूनियर महमूद साहब ने जितेंद्र जी के साथ भी सात से आठ फिल्मों में काम किया है। और इन दोनों की सबसे शानदार फिल्म मानी जाती है साल 1971 में आई कारवां। इस फिल्म में जूनियर महमूद ने जितेंद्र के छोटे भाई मोंटू का रोल निभाया था। इस फिल्म के क्लाइमैक्स में एक सीन था जिसमें गुंडे जितेंद्र के गले में फंदा बांधकर उन्हें जूनियर महमूद के कांधों पर खड़ा कर देते हैं।
यानि अगर जूनियर महमूद डगमगाते तो जितेंद्र की जान जानी तय थी। लेकिन फिल्म की कहानी के मुताबिक छोटा भाई किसी भी हाल में अपने भाई की जान बचाना चाहता है। ये सीन जिस वक्त शूट किया जा रहा था तो लॉन्ग शॉट्स में जितेंद्र जी के पूरे शरीर का भार जूनियर महमूद के कांधों पर दिखाना था। और लॉन्ग शॉट्स रिकॉर्ड करते वक्त जूनियर महमूद को बड़ी परेशानी आई थी। क्योंकि उस वक्त वो बहुत छोटे थे। और जितेंद्र साहब का वज़न संभालना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। लेकिन उन्होंने बिना कोई गड़बड़ किए वो सीन्स शूट किए। उस दिन इनकी खूब तारीफें ह�