गोंडा सदर तहसील के न्यायालय में भ्रष्टाचार,पेशकार का रिश्वत मांगते वीडियो वायरल

गोंडा सदर तहसील के न्यायालय में भ्रष्टाचार,पेशकार का रिश्वत मांगते वीडियो वायरल

 

पेशकार ने कहा कि साहब को सौ रुपए फाइल मुझे देना पड़ता है..अगर आप नहीं देंगे तो हमें अपनी जेब से देना पड़ेगा।

 

अधिकारियों ने लिया संज्ञान, न्यायिक लिपिक सुरेन्द्र कुमार निलंबित।

 

गोंडा। सूबे की योगी सरकार एक तरफ जहां सरकारी सेवाओं में भ्रष्टाचार रोकने के लिए जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाने के लगातार दावे कर रही है,तो वहीं उनके अधीनस्थ जिम्मेदार आला अधिकारी,कर्मचारी सरकार के इन दावों को वेंटिलेटर पर रखकर भ्रष्टाचार की नई इबारत लिख रहे हैं और भ्रष्टाचार मुक्त की जगह भ्रष्टाचार युक्त की रफ्तार को बढ़ावा दे रहे हैं। इसी क्रम में गोंडा जिले की सदर तहसील में रिश्वतखोरी से जुड़ा भ्रष्टाचार का एक शर्मनाक मामला सामने आया है। सदर तहसील में न्यायालय पर तैनात पेशकार सुरेंद्र कुमार का रिश्वत मांगते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में पेशकार सुरेंद्र कुमार एक व्यक्ति से प्रति फाइल 100 रुपये की मांग करते हुए कहते हैं, “अगर आप नहीं देंगे, तो हमें अपनी जेब से देना पड़ेगा। वीडियो में साफ दिख रहा है कि सुरेंद्र कुमार वाद दायर करने आए व्यक्ति से बार-बार रिश्वत की मांग कर रहे हैं। जब व्यक्ति ने रिश्वत देने से मना किया,तो पेशकार ने फाइल रोक दी और दावा किया कि अन्य लोग 300 रुपये तक खुशी-खुशी दे जाते हैं। इससे गोंडा जिला प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है। पूरे मामले को अधिकारियों ने संज्ञान लेते हुए जांच के आदेश दिए।

आपको बता दें कि न्यायिक सदर तहसीलदार अनीश सिंह पर इससे पहले भी भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके हैं। शासन द्वारा उनके खिलाफ एक बार जांच भी हो चुकी है,फिर भी उन्हें गोंडा जिले में तैनाती मिली हुई है। आरोप है कि अनीश सिंह अपने कार्यालय में बैठने के बजाय उस कमरे में बैठते हैं,जहां मुकदमों की फाइलें रखी जाती हैं। अधिवक्ताओं का दावा है कि वे केवल उन्हीं का काम करते हैं जो रिश्वत देने को तैयार होते हैं। इस घटना ने शासन प्रशासन के भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को लेकर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। वहीं मामले में मिली जानकारी के मुताबिक इस घटना के सामने आने के बाद अधिकारियों ने इसे संज्ञान में लेकर न्यायिक लिपिक सुरेन्द्र कुमार को रिश्वत मांगने के आरोप में निलंबित कर दिया है और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई आरंभ कर दी गई है। निलंबन की अवधि में सुरेन्द्र कुमार को वित्तीय हस्तपुस्तिका के प्रावधानों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ता अर्द्ध औसत वेतन पर या अर्द्ध वेतन पर दिया जाएगा। इसके अलावा महंगाई भत्ता और अन्य प्रतिकर भत्ते भी उन्हें प्राप्त होंगे,बशर्ते वे उन मदों में वास्तविक व्यय कर रहे हों जिनके लिए ये भत्ते अनुमन्य हैं।मामले में अपर उपजिलाधिकारी प्रथम गोण्डा को जांच अधिकारी नियुक्त किया गया है। उन्हें यह निर्देश दिए गए हैं कि वे शीघ्रता से आरोप पत्र का गठन करें और उसे अनुमोदन हेतु उच्चाधिकारियों को प्रस्तुत करें।संवाददाता सुनील कुमार यादव

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