शायरी गाकर पहलवानों पर बृज भूषण ने साधा निशाना।
के पी पी एन डॉ0कल्प राम त्रिपाठी
गोंडा के बेलसर बाजार में स्थित रघुराज शरण सिंह महाविद्यालय में मोदी सरकार के 9 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर कैसरगंज सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने एक जनसभा का आयोजन किया था। इस जनसभा में मुख्य अतिथि के रूप में मध्य प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन सिंह यादव भी मौजूद थे। अपने पैतृक आवास विश्नोहरपुर से भारी जनसमर्थन के साथ लगभग 60 किलोमीटर की रैली निकालकर सांसद बृज भूषण जनसभा स्थल पर पहुंचे। जनता को संबोधित करते हुए सांसद ने शुरुआत एक शायरी के साथ की। उससे पहले सांसद ने मीडिया वालों पर तंज कसते हुए कहा कि मीडिया वाले बड़ी तिरछी नजर से देख रहे हैं। शायरी का सहारा लेते हुए सांसद बृजभूषण ने जंतर मंतर पर बैठे पहलवानों पर निशाना साधा। सांसद ने शायरी में कहा कि कभी अश्क, कभी गम, कभी जहर पिया जाता है, जब कभी जाके जमाने में दिया जाता है, ये मिला मुझको मोहब्बत का सिला, बेफवा कहकर मेरा नाम लिया जाता है। इसको रुसवाई कहे कि शोहरत अपनी, दबे होटों से मेरा नाम लिया जाता हैं।सांसद ने मंच से विपक्ष पर खासकर कॉंग्रेस पर लगातार निशाना साधा। कोंग्रेस पर सांसद ने निशाना साधते हुए कहा कि सन 1947 में देश आजाद हुआ और उसी समय देश का बंटवारा हुआ। अभी बंटवारे का घाव अभी पूरा नहीं हुआ था पाकिस्तान की सेना के भेष में कबाइली हमला कर दिया। 78 हज़ार वर्ग किलोमीटर जमीन आज भी पाकिस्तान के कब्ज़े में हमारे देश की हैं। ये काम किसके समय में हुआ, ये काम भी कोंग्रेस के समय में हुआ और उस समय के प्रधानमंत्री थे पं जवाहर लाल नेहरू, पहला काम। उसके बाद सन 1962 चीन हमारे देश के ऊपर आक्रमण करता है और चीन के कब्जे में 33 हज़ार वर्ग किलोमीटर जमीन है। ये काम भी किसके समय में हुआ, कॉंग्रेस के सन 1971 में हिंदुस्तान के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना घटी। कि पाकिस्तान के 92 हज़ार सैनिकों को हमारी देश की सेना ने बंदी बनाया था। लेकिन उस समय एक अवसर था हमारे पास, अगर सशक्त प्रधान होता, मजबूत भारत होता, दृढ़ इच्छाशक्ति वाला भारत होता, मोदी वाला भारत होता, तो 92 हज़ार सैनिक जाने के पहले पाकिस्तान द्वारा जो हमारी जमीन कब्जा करके रख ली गई है इन सारी समस्याओं का निदान हो सकता था। यदि कांग्रेस के प्रधानमंत्री की जगह नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री होते, भारतीय जनता पार्टी का प्रधानमंत्री होता तो 92 हज़ार सैनिक यूं ही न चले जाते। सांसद ने फिर कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए मंच से कहा कि सन 1975 में देश में इमरजेंसी लगाई गई। देश के तमाम नेता जहां पर बंद थे वहीं पर हमारे जिले गोंडा के बहुत से नेता बंद थे उसमें हम को भी जाने का मौका मिला था। मैं कहना चाहता हूँ कि इस देश में एक तरीके से लोकतंत्र की हत्या की गई, देश में इमरजेंसी लगाई गई। उस समय भी कोंग्रेस की ही सरकार थी। और 1984 में सिक्खों का जब कत्लेआम किया गया के उस समय भी कोंग्रेस की ही सरकार थी। जब आतंकवादियों के लिए इस देश में यह नियम है कि आतंकवादियों को फांसी ना होने पाए रात में सुप्रीम कोर्ट का ताला तुड़वाया गया तब भी कोंग्रेस की ही सरकार थी दूसरे की सरकार नही थी।