कहते हैं कि भगवान शिव ने सबसे पहले ज्ञान का स्वाद चखा था या कहें कि उन्हें ही सबसे पहले आत्मज्ञान हुआ था। इसीलिए उन्हें आदि गुरु, आदिदेव और आदि पुरुष माना जाता है। इस ज्ञान को प्राप्त करने के बाद वह कई दिनों तक आनंद की अवस्था में रहे और फिर उन्होंने यह ज्ञान दूसरों को दिया।
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वह अनादि परमेश्वर हैं और आगम-निगम आदि शास्त्रों के अधिष्ठाता भी हैं. शिव को ही संसार में जीव चेतना का संचार कहा गया है. इस तरह भगवान शिव और शक्ति स्वरूपा मां पार्वती ही इस जगत और ब्रह्मांड में अपनी विशेष भूमिका का निर्वहन करते हैं. शिव महापुराण के अनुसार स्वयं भगवान शिव ही हैं जिन्होंने ब्रह्मा को वेद का ज्ञान दिया.