बहराइच – जीवन को बचाने के लिए ग्रामीणों ने फैक्ट्री के खिलाफ छेड़ा मोर्चा
एंकर – जनपद बहराइच में शहरी क्षेत्र के किनारे बसे ग्रामीणों ने जानलेवा साबित हो रही 2 फैक्ट्रियों के खिलाफ मोर्चा छेड़ दिया है।
दरगाह इलाके में स्थित एक राइस मिल एवं एक फ़ूड प्रोडक्ट फैक्ट्री को ग्रामीणों ने बन्द करवाने अथवा विस्थापित करवाने की पुरजोर मांग करते हुए धरना प्रदर्शन सुरु कर दिया है।
प्रदर्शन कर रहे ग्रामीणों का आरोप है कि रिहायसी इलाके के बीच मे स्थापित आरोहुल फूड्स प्रोडक्ट लिमिटेड एवं सुनील केडिया नाम से स्थापित दोनों फैक्ट्रियों से निकलने वाले जहरीले धुएं एवं ब्लैक डस्ट से सलारपुर गाँव में रहने वाले हज़ारों ग्रामीणों की जिंदगी बेवक़्त मौत के करीब पहुँचने लगी है।
फैक्ट्री से निकलने वाले ब्लैक डस्ट से कई लोग अंधे हो चुके हैं वहीं तमाम ग्रामीण पुरुष एवं महिलाएं आस्थमा, कैंसर एवं फेफड़े सम्बन्धी बीमारियों ग्रसित हो रहे हैं।
गरीब तबके के ग्रामीण इस फैक्ट्री को हटाने के लिए जिला प्रशासन से कई बार गुहार लगा चुके हैं लेकिन मिल मालिकों की हठधर्मिता एवं प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत होने की बजह से कोई कार्यवाही नही हो पाती है।
वीओ- सलारपुर में रहने वाले किसानों ने बताया कि मिल से निकलने वाली राख यानी डस्ट उनके खेतों को बंजर बना रही है।
किसानों के द्वारा खेतों में बोई गई फसल फैक्ट्री से निकलने वाले डस्ट की वजह से बर्बाद हो रही है जिसकी वजह से किसान अब भुखमरी के कगार पर पहुँचने लगे हैं।
ग्रामीणों की मांग है कि इन दोनों फैक्ट्रियों को शहरी क्षेत्र से हटाया जाए जिससे ग्रामीणों की जिंदगी को बेवक़्त मौत के मुँह में जाने के बचाया जा सके।
वीओ – 2 – इस मामले में उपजिलाधिकारी सुभाष सिंह धामी ने बताया कि ग्रामीणों के आरोपों को तन्मयता से सुना गया है मिल के डस्ट एवं जहरीले धुएं की जांच करने के लिए पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को जाँच के लिए बुलाया गया है जाँच में कमी पाए जाने पर दोनों मिलों के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
वीओ-F- आपको बता दें कि एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से साफ तौर पर ये निर्देश है कि फैक्ट्रियां शहरी क्षेत्रों से दूर ही स्थापित होंगी लेकिन बहराइच में एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं।
अब देखना ये होगा कि क्या प्रसासन इस फैक्ट्री को हटवा कर ग्रामीणों की जिंन्दगी बचाने में मदद करता है या मिल मालिकों के इशारे पर चलकर ग्रामीणों को गाँव छोड़कर पालयन होने पर मजबूर करता है।
बाइट – नाजिर बेग ( ग्रामीण)
बाइट – असरफ अली ( किसान)
बाइट – हारून बेग ( किसान)
बाइट – सज्जन ( ग्रामीण)
बाइट – समर बेग ( बीमार ग्रामीण)
बाइट – अशफाक खान ( ग्रामीण)
बाइट – जूही रजा ( सामाजिक कार्यकर्ता)
बाइट – नायब तहसीलदार