सामुदायिक शौचालय में लटक रहा ताला

सामुदायिक शौचालय में लटक रहा ताला

टैंक का ढक्कन टूटने के साथ ही टंकी ध्वस्त।सामुदायिक शौचालय में लटक रहा ताला
टैंक का ढक्कन टूटने के साथ ही टंकी ध्वस्त।

स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा दिखा रहे जिम्मेदार,खुल रही पोल।

रंजीत तिवारी

कर्नलगंज,गोण्डा। स्थानीय तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत विकास खंड कटरा बाजार के ग्राम पंचायत चौदहा मेटुकहा में स्वच्छ भारत अभियान को जिम्मेदार लोग ठेंगा दिखा रहे हैं। यहां बने सामुदायिक शौचालय का अभी तक ताला नहीं खुला है। जिसके टैंक का ढक्कन भी टूट गया है और टंकी ध्वस्त हो चुकी है। जिससे लोगों को सरकार द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है और लाखों रुपए की लागत से बना सामुदायिक शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है।

बताते चलें कि मामला विकास खण्ड कटरा बाजार के ग्राम पंचायत चौदहा मेटुकहा से जुड़ा है, जहां पर ग्रामीणों को खुले में शौंच करने से छुटकारा दिलाने और उनकी सुविधा हेतु सरकारी धनराशि से सामुदायिक शौचालय बनवाया गया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इसका इसका कभी ताला ही नहीं खुला है। इसी के साथ ही विद्युत केबिल भी सूखे पेड़ पर लटकी हुई दिख रही है। जिससे लोगों को सरकार द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है और लाखों रुपए की लागत से बना सामुदायिक शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। ऐसे में गंभीर सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे सच होगा स्वच्छ भारत मिशन का सपना और लोगों को खुले में शौंच करने से कब मिलेगा छुटकारा। वहीं इसका जवाब देने वाला कोई नही है और जिम्मेदार जानबूझकर मौन साधे हुए हैं।

स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा दिखा रहे जिम्मेदार,खुल रही पोल।

हिंदी दैनिक दि ग्राम टुडे

कर्नलगंज,गोण्डा। स्थानीय तहसील क्षेत्र के अन्तर्गत विकास खंड कटरा बाजार के ग्राम पंचायत चौदहा मेटुकहा में स्वच्छ भारत अभियान को जिम्मेदार लोग ठेंगा दिखा रहे हैं। यहां बने सामुदायिक शौचालय का अभी तक ताला नहीं खुला है। जिसके टैंक का ढक्कन भी टूट गया है और टंकी ध्वस्त हो चुकी है। जिससे लोगों को सरकार द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है और लाखों रुपए की लागत से बना सामुदायिक शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है।

बताते चलें कि मामला विकास खण्ड कटरा बाजार के ग्राम पंचायत चौदहा मेटुकहा से जुड़ा है, जहां पर ग्रामीणों को खुले में शौंच करने से छुटकारा दिलाने और उनकी सुविधा हेतु सरकारी धनराशि से सामुदायिक शौचालय बनवाया गया है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इसका इसका कभी ताला ही नहीं खुला है। इसी के साथ ही विद्युत केबिल भी सूखे पेड़ पर लटकी हुई दिख रही है। जिससे लोगों को सरकार द्वारा मुहैया कराई जाने वाली सुविधा का लाभ नहीं मिल रहा है और लाखों रुपए की लागत से बना सामुदायिक शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। ऐसे में गंभीर सवाल यह उठता है कि आखिर कैसे सच होगा स्वच्छ भारत मिशन का सपना और लोगों को खुले में शौंच करने से कब मिलेगा छुटकारा। वहीं इसका जवाब देने वाला कोई नही है और जिम्मेदार जानबूझकर मौन साधे हुए हैं।

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