करकी माइनर अपने दुर्दशा पर आशू बहाने को मजबूर।

करकी माइनर अपने दुर्दशा पर आशू बहाने को मजबूर।
जयप्रकाश वर्मा
करमा, सोनभद्र।
मुख्य घाघर नहर से निकलने वाली माइनर, करकी माइनर अपने दुर्दशा पर आशू बहाने को मजबूर है। माइनर में निकली बड़ी संख्या में विदेशी घासें मलेरिया, डेंगू बुखार को दे रही दावत ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्य घाघर नहर से निकलने वाली माइनर करकी माइनर जो पांपी गांव से होते हुए करकी गांव व बसदेवा, कसया गांव को जाती है।माइनर को पूरी तरह से विदेशी घासें ढक ली हैं।कैनाल विभाग का कोई जिम्मेदार आदमी इस सिल्ट को साफ कराने की जहमत नहीं उठाया।चर्चाओं की मानें तो हर वर्ष सिल्टसफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च कैनाल बिभाग करता है, परन्तु ढाक के तीन पात वाली कहावत चरितार्थ है इस माइनर पर। मुख्य नहर से निकलने वाली माइनर घासों से ढकने के साथ कई जगह टूटी है।सूखा होने के साथ किसी तरह से रोपाई करने वाले वाले किसानों को बन्धे में पानी कम होने की सूचना देकर मायूस कर दिया गया। यदि नहर खुलती तो भी किसानों को कोई लाभ न होता क्योंकि माइनर नहर की सफाई नही किया गया ।बुद्धजीवियों की मानें माइनर में घासें अधिक मात्रा में होने मख्खी मच्छरों के प्रकोप बढ़ गया है, डेंगू बुखार के मच्छर भी पैदा होने का भय है।अनजान व्यक्ति से यदि थोड़ी चूक हुई तो सीधे माइनर में जा सकता है।स्थानीय लोगों संबंधित अधिकारियों के जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है।

Related posts

Leave a Comment