*हरदोई में बढा,अपराधिक घटनाओं का ग्राफ*
*24घंटे में तबाडतोड तीन हत्याएं,क्राइम रोकेने की बजाए,उसके खुलासे पर पुलिस का जोर*
*पुलिस अपने वालिंटियर और अपने खुफियां तंत्रों से अब नही लेती छोटी छोटी घटनाओं का फीडबैक*
*थाने में बैठकर अधिकार तर इंस्पेक्टर और थानाध्यक्ष करते है क्षेत्र की घटनाओं की मानीटरिंग*
*खाऊ कमाऊ नीति तक सीमट कर रही गई थानेदारी*
हरदोई- में बीते 24घंटे के अंदर हुई ताबड़तोड़,तीन हत्याओं से जनपद दहल गया।बीते दो माह से जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में हुई घटनाओं से जिले में क्राइम का ग्राफ बढा है।हालांकि क्राइम की घटनाओं को पूर्व में ही जिम्मेदारों को सचेत रहते हुए उनको रोकने के लिए एस पी ने सभी कोतवाली व थानाध्यक्षों के पेंच कसे थे।लेकिन उनके आदेशों को भी शायद तवज्जो नही दी गई।और अधिकतर थानों में क्राइम की मानीटरिंग थानाध्यक्षों द्धारा थाने में रजिस्टर का कालम पूरा कर कल लीं,जाती है।अब ना तो थानों में थानेदार क्षेत्र के अपने खुफिया तंत्रों या वालिंटियरों से मीटिंग के जरिये फीडबैक लिया करते हैं और ना ही पुलिस गांवों में गस्ती कर लोगों से छोटे बडे मसालों पर विचार और चर्चा करती है।जिसका नतीजा बडी घटनाओं में बदला रहा है।सुरसा के दहिती सल्कूपुर में हुई महिला की हत्या इसका बडा उदाहरण हैं जिसमें पुलिस जानकर भी अनजान बनी रही और बडी घटना घटित हो गई।हालांकि कारण कोई भी हों लेकिन क्राइम को रोकने व घटनाओं पर अंकुश लगाने को लेकर थानेदारी नही होती।