*श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ कथा अंतिम दिन सातवां दिवस रुकमणी समर्पण गाथा कृष्ण रुक्मणी विवाह उत्सव वृकासुर वध गाथा*
डॉ0कल्पराम त्रिपाठी ब्यूरोचीफ गोण्डा
खबर गोंडा जनपद से हैं जहां पर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के माध्यम से गोंडा शहर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ कथा का सातवां दिन कथा प्रसंग था रुकमणी समर्पण गाथा कृष्ण रुक्मणी विवाह उत्सव वृकासुर वध गाथा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज जी की साध्वी शिष्य सुश्री पद्महस्ता भारती ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह का प्रसंग सुनाया। कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है।
भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह दिखाया भी था कि श्रीराधा और वह दो नहीं बल्कि एक हैं। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी है। इसी कहानी से प्रेम की नई परंपरा की शुरुआत भी हुई। देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी का पूरा बचपन श्रीकृष्ण के साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए लेकिन उन्होंने सभी को मना कर दिया। उनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई चिंतित थे। बाद में रुक्मणी का श्री कृष्ण से विवाह हुआ। भक्तों ने महिलाएं बच्चे गुरु भाई ,गुरु बहने झूम कर नाचे गाए डांस किए आदि मौजूद रहे।
भट्टाद्री में वृकासुर के वध का वर्णन है। वृकासुर ने घोर तपस्या की और शिव से वरदान प्राप्त किया। जिस क्षण वृकासुर ने अपना हाथ किसी व्यक्ति के सिर पर रखा, वह मर जाएगा। वृकासुर स्वयं शिव पर इस वरदान की प्रभावशीलता का परीक्षण करना चाहता था। भगवान नारायण शिव के बचाव में आए। उन्होंने सुझाव दिया कि वृकासुर ने अपना हाथ अपने सिर पर रखा, जो असुर ने किया और मर गया। इस घटना का वर्णन करने के बाद भट्टाद्री कहते हैं कि भगवान शिव की भी शरणस्थली हैं। तो पद्मनाभ नाम हमें दिखाता है कि वे सर्वोच्च हैं। वह दामोदर भी हैं, जो उनके कृष्ण अवतार में उनके द्वारा प्राप्त एक नाम है। शरारती कृष्ण को दंडित करने के लिए, यशोदा ने उन्हें एक मोर्टार से बांध दिया। रस्सी से बंधा होने के कारण दामोदर हो गया। यह एक ऐसा नाम है जो उनके सौभाग्य को दर्शाता है। पूर्ण आहुति यज्ञ में कथावाचक साध्वी सुश्री सुश्री पद्महस्ता भारती के साथ साध्वी बहने आशुतोष महाराज जी के शिष्य स्वामी गुरु भाई गुरु बहन ने मुख्य अजमान रहे शामिल कथा के आखिरी दिन पंडाल खचाखच भक्तों से गुरु भाइयों और बहनों से बच्चों से भरा था भारी संख्या में लोगों ने आखिरी कथा के दिन कथा के आयोजक अर्जुन नंद के आवाहन पर गरीब असहाय बच्चों के लिए किताब कॉपी पेंसिल जमेट्री बॉक्स लाकर भक्तों ने दिया जो सरा बस्ती गोरखपुर गोकुल पढ़ने वाले बच्चों को वितरण किया जाएगा कथा व्यास पर आसीन 7 दिन कथा कह रही आशुतोष महाराज जी की साध्वी शिष्य कथावाचक साध्वी सुश्री सुश्री पद्महस्ता भारती के साथ साध्वी सुश्री वंदना भारती अभिनंदन, प्रति भारती, स्वामी करुणेशानन्द शिवम, अमित श्रेष्ठ टोली मंच पर जाकर गणमान्य व्यक्ति अजमान भक्तों ने गुरु दक्षिणा अंग वस्त्र फूल माला से किया व कथा में भारी संख्या में महिलाएं भक्तगण रहे शामिल बलरामपुर श्रावस्ती गोंडा बहराइच जनपदों से आशुतोष महाराज जी के भाई बहन ने भक्तगण ने कथा का लिया आनंद। भक्ति से सराबोर हुए। श्रीमद् भागवत कथा आखिरी दिन आरती के बाद विशाल भंडारे का किया गया आयोजन भक्तगणों ने भंडारा का प्रसाद ग्रहण किया
विजुअल
कथा आयोजक स्वामी अर्जुन आनंद की बाइट
साहित्यकार यज्ञ देव पाठक की बाइट
कथा सुनने आए भक्तगण की बाइट