प्रकाशनार्थ
दिनांक-27/08/2022
*गोरखपुर ही नहीं देश को फक्र है फिराक गोरखपुरी पर-सरदार जसपाल सिंह*
*क्लासिकी उर्दू गजल के जन्मदाता है फिराक गोरखपुरी- मिन्नत गोरखपुरी*
राष्ट्रीय मानवाधिकार संघ भारत एवं गोरखपुर लिटरेरी सोसायटी के संयुक्त तत्वावधान में उर्दू के मशहूर शायर रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी की जयंती के पूर्व संध्या पर एक कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन गोरखपुर इकाई के कैंप कार्यालय तुर्कमानपुर में आयोजित हुआ |
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सरदार जसपाल सिंह ने कहा कि गोरखपुर ही नहीं देश को फक्र है फिराक गोरखपुरी पर |
मुख्य अतिथि मंजूर आलम ने कहा कि फिराक गोरखपुरी की शायरी बहुत ही सरल भाषा में होती थी लेकिन वह समाज के कुरीतियों के साथ-साथ प्यार मोहब्बत की भी बातें करते थे|
वरिष्ठ शायर व विशिष्ट अतिथि फर्रुख जमाल ने कहा कि हिंदी व उर्दू दोनों मंच पर समान रूप से स्वीकार किए जाते थे फिराक गोरखपुरी|
युवा शायर एवं समाजसेवी मिन्नत गोरखपुरी ने कहा कि रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी आधुनिक उर्दू गजल की नींव रखी है उन्होंने उर्दू गजल पर नया रंग आता किया है|
कार्यक्रम के आयोजक मोहम्मद आकिब अंसारी ने बताया कि इस अवसर पर सरदार जसपाल सिंह, मंजूर आलम,डॉ पीएन सिंह,फारुख जमाल,सैयद इरशाद अहमद,हाजी जलालुद्दीन कादरी,इंतखाब अख्तर, फहीम अहमद आदि को सम्मानित भी किया गया |
कार्यक्रम का संचालन करते हुए *”रूद्र” उत्कर्ष शुक्ला* ने जैसे ही पढ़ा,
लोगों ने खूब तालियां बजाई,
आज एक अंगुली तुम्हे अच्छी नहीं लगती|
गर न हो एक हाथ में मुट्ठी नहीं बनती||
वरिष्ठ शायर *फर्रुख जमाल* ने पढ़ा,
मुझे कुछ दिन से हैरानी बहुत है ।
तेरे लहजे में सुल्तानी बहुत है।।
*मिन्नत गोरखपुरी* ने पढ़ा,
सुना है कि, वो बहुत सलीक़े से पेश आ रहा है |
कहीं वो फिराक़ गोरखपुरी के शहर से तो नहीं।।
*सलीम मजहर गोरखपुरी* ने पढ़ा,
कोई ज़रूरी नहीं सामने तू आए मेरे।
तेरा ख्याल ही काफी है होश उडाने को।
*गणेश गोरखपुरी* ने पढ़ा,
एक अच्छे फिराक़ कभी नहीं मरते,
सदियों तक दिलों में जिंदा रहते हैं वो।।
*अपर्णा जसवाल अविरल* ने पढ़ा,
अस्त हुआ भले ये सूरज, बादलों की घाटी में|
कीर्ति सदा ही अमर रहेगी, भारत की माटी में||
*अंशुमान शुक्ला अंशु* ने पढ़ा,
पैसा जब बोलता है तो हक़ में लिखती है कलम,
ये वो दौर नही साहब जहां पैरवी से काम होते है।।
साथ ही साथ एकता उपाध्याय,डॉक्टर एहसान अहमद ,शिवांगी पाठक,अंकुर सच्चर आदि ने भी काव्य पाठ किया|
कार्यक्रम की सह संयोजक सीमा परवीन ने सभी को अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद ज्ञापन किया|
इस अवसर पर हाफिज अब्दुल रऊफ, इज्जत गोरखपुरी,राज शेख, सद्दाम खान, नसीम अशरफ, सीमा, जोया, अयान निजामी,मोहम्मद नूर, मोहम्मद फैजान अंसारी, सज्जू सहित भारी संख्या में लोग मौजूद रहे|