कर्बला में दफन हुई ताजिया,
शहीद हुए इमाम हुसैन व उनके 72 शहिदो की याद में सीना पीटकर किया गया याद।
जयप्रकाश वर्मा
करमा, सोनभद्र।
स्थानीय थाना क्षेत्र कि तजियादारों द्वारा ताजिया बारी महेवा,बहेरा भदोही, पगिया, पांपी, मोकरसिम आदि स्थानों पर मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा मातम जुलूस निकाला गया। मोहर्रम पर निकले इस जुलूस में बड़ों के अलावा छोटे बच्चें भी सीना पीट रहे थे। या हुसैन या हुसैन की नारें से पूरा क्षेत्र गूंज रहा था। वहीं विभिन्न जगहों से ताजिया जुलूस भी निकाला गया जो गली, चौक-चौराहें व सड़कों पर रुककर कर इमाम हुसैन की शहादत की कहानी बयां कर रहे थे जिसमे मुस्लिम लाठियां भांजकर अपना करतब दिखा रहे थे वहीं जगह-जगह ताजियादार जगह जगह नौहा पढ़ते चल रहे थे। मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बताया की1400 वर्ष पहले इराक में यजीद नाम का जालिम बादशाह इंसानियत का दुश्मन था। यजीद खुद को खलीफा मानता था। वह जनता पर हद से ज्यादा जुल्म किया करता था। वह चाहता था कि हजरत इमाम हुसैन उसके खेमे में शामिल हो जाएं लेकिन हुसैन को यह मंजूर नहीं था उन्होंने अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई यजीद ने तीन दिनों से भूखे-प्यासे इमाम हुसैन व उनके साथियों को कर्बला में शहीद कर दिया। हुसैन के छह माह के बेटे अली असगर को भी शहीद कर दिया। घर की औरतें व बड़े बेटे इमाम सज्जाद को गिरफ्तार कर लिया। इसी की याद में यह मुहर्रम का त्यौहार मनाया जाता हैं। चाक चौबंद सुरक्षा के मद्देनजर प्रभारी निरीक्षक राजेश सिंह मय फ़ोर्स पूरे क्षेत्र का भ्रमण करते नजर आए जिससे किसी भी प्रकार की समस्या न आने पाए। ताजिया उठान को लेकर भदोही में थोड़ा तकरार हुआ परंतु श्री सिंह क्रूर समस्या भांपते हुए जूझ बुझ का परिचय देते हुए दोनों दलों को अपने अपने रास्ते से ताजिया ले जाने की बात कही।बताते चलें कि खैराही इमाम बाड़े पर पांच गाँव की ताजिया कर्बला में दफन होने आती थी जिसमें बहेरा व पास के गांव की तजियादारों की सहमति से बहेरा में दफन हो गई, पांपी भदोही की तजियादारों ने इमाम बाड़े में दफन मिलान के बाद दफन हुई खैराही में दो भागों में ताजिया आपसी बैठक के बाद तय कार्यक्रम के अनुसार मुख्य मार्ग से आनी थीं परंतु आपसी मनमोटाव के कारण एक दल परंपरागत रूप से खेतों से होते हुए आई।