वन विभाग की तरफ से लगाये जाने वाले पौधों को सफाचट कर देते हैं मवेशी।
डॉ0कल्पराम त्रिपाठी ब्यूरोचीफ गोण्डा
एंकर
प्रदेश को हरा भरा बनाने के लिए सूबे की सरकार हर साल पौधा रोपण का अभियान चलाती है जिसमे जन प्रति निधि जिले के आलाधिकारी सहित तमाम वरिष्ट नागरिक जन पौधा रोपण कार्यक्रम की फ़ोटो शेयर करते हैं, किन्तु असलियत यह है की इन छोटे छोटे नवांकुर वृक्षों की सुरक्षा में कमी के चलते लाखों नवजात पौधे हर साल बेकार हो रहे हैं।
मुज़ेहना क्षेत्र में, बरसात शुरू होने से पहले पौधा रोपण के लिए विभाग की तरफ से गड्ढे खोदे गए थे, बरसात की वजह से अमुमन पट चुके गड्ढों में अब कुछ सूखे कुछ हरे पौधे लगाने का कार्य शुरू हो गया है।
देखने को मिला है की गोंडा उतरौला मार्ग पर स्थित धानेपुर विधुत उपकेन्द्र के निकट वन कर्मियो द्वारा जिन स्थानों पर पौधा लगाया जा रहा है वहां सड़क पर छुट्टा मवेशियों का जमावड़ा रहता है, किन्तु नवांकुर वृक्षों की सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नही हैं, ऐसे में महज एकाध घण्टो के मेहमान पौधों को पशु अपना निवाला बना लेते हैं, पौधों की सुरक्षा के सम्बन्ध में रेंजर ओ.पी लाल श्रीवास्तव ने बताया है, की शहरी क्षेत्रों के लिए ट्री गार्ड बनवाया जा रहा, बाकी स्थानों के लिए हमारे पास ट्री गार्ड लगवाने की ब्यवस्था नही है।
कुल मिला कर अधिकारी के बयान से और नवजात पौधों की सुरक्षा के सम्बन्ध में जो जानकारी मिली है उससे यही साबित होता है की देहातीय क्षेत्रों में होने वाले वृक्षा रोपण कार्यक्रम बिना ट्रीगार्ड के महज खानापूर्ति है, खुले में लगने वाले वृक्ष पशुओं का निवाला बन जाते हैं, बताते चलें की उज्जैनी बीट में एक लाख बीस हजार गड्ढे खोदे गए थे जिनमे नाम मात्र पौधे ही दिखाई देते है।