हम काम कराते,हम ही असली प्रधान
पंचायत भवन की दीवार पर लिखा प्रधान सुभाष अवस्थी धोबिया
ताहिर खान
असली प्रधान अंकित पाल बने कठपुतली, मजाक बनती ग्राम पंचायतें
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पिहानी/हरदोई।”हम ही हैं असली प्रधान क्योंकि हम को मिला है प्रतिनिधि होने का फरमान,जब काम हम देखते हैं तो नाम लिखा देने से क्या हो गया नुकसान।” यह हम नहीं हरियावाँ ब्लॉक के धोबिया ग्राम पंचायत के पंचायत भवन में खानापूर्ति के लिए चल रही मनरेगा सोशल ऑडिट की खुली बैठक में मात्र 13 ग्राम वासियों के साथ आवा भगत के बाद मीडिया की निगाहों से रूबरू होते हुए कथित प्रधान सुभाष अवस्थी ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा।
मालूम हो कि जनपद के ब्लाक हरियावाँ की ग्राम सभा धोबिया में सोशल ऑडिट की मनरेगा, आवास संबंधी प्रक्रिया चल रही थी। पंचायत भवन के प्रांगण की एक दीवार पर पुराण सुभाष अवस्थी लेखक था जबकि बताया गया कि इस ग्राम पंचायत के प्रधान अंकित पाल हैं लेकिन उनका उनके कार्यों का सारा दारोमदार सुभाष अवस्थी पर छोड़ दिया गया है।
दरअसल वर्ष 1988 से लगातार रघुनाथ सिंह राठौर प्रधान पद पर काबिज होते रहे।परन्तु बीते चुनाव में आरक्षित सीट के मद्देनजर पिछड़ा वर्ग कोटे की सीट घोषित होने के कारण वे चुनाव नहीं लड़ सके और गांव के सुभाष अवस्थी नामक युवक ने अपने एक समर्थक अंकित पाल को प्रधान पद का उम्मीदवार प्रत्याशी बनाकर चुनाव लड़ाया जो कि चुनाव जीत गया।अंकित पाल वर्तमान प्रधान होकर अपने पद और दायित्वों का निर्वहन करने में घोर लापरवाही बरत रहे हैं। आज तलक ग्राम सभा में विकास कार्यों के कार्यभार का सारा जिम्मा सुभाष अवस्थी को दिए हुए हैं।यहां तलक कि जब शनिवार को उस गांव में हो रहे ऑडिट की खबर कवरेज करने के लिए कुछ स्थानीय संवाददाता वहाँ पहुँचे तो ग्रामीणों से जानकारी करने पर ज्ञात हुआ कि ग्रामवासियों को ऑडिट की कोई सूचना नहीं मिली है और न ही मुनादी या डुग्गी पिटवाकर ग्राम सभा की खुली बैठक की कोई खबर दी गई है।गाँव के पंचायत घर की दीवारों पर कई जगह पर प्रधान सुभाष अवस्थी का नाम लिखा देख पंचायत भवन के अंदर जाकर देखा तो वहाँ मौजूद कुछ ग्रामीणों के बीच प्रधान अंकित पाल के तथाकथित प्रधान सुभाष अवस्थी ने बताया कि हमारे गाँव में एक वर्ष में तकरीबन 11लाख रुपए सरकारी धन से 2 फिट चौड़ी और 35 मीटर लम्बी इंटरलाॅकिंग मार्ग का नव निर्माण कार्य हुआ है।इसके अलावा ग्रामीणों से मालूम हुआ कि गाँव में साढ़े तीन बीघा के पैनी तालाब का सौन्दर्यीकरण के नाम पर आबादी भूमि जहाँ की मिट्टी से पूर्व में ईंट पथाई कराकर गड्ढा बन गया था,उस पर थोड़ा बहुत काम दिखाकर सरकारी धन का बंदरबाट कर लिया गया है तथा एक निर्माणाधीन गौशाला है जिसमें न तो कोई गाए-बैल हैं और न ही चारा व भूसे की कोई उचित व्यवस्था है।मीडिया को आते देख बीआरपी व एक अन्य ऑडिटर जो अन्य किसी ग्राम पंचायत में ऑडिट की बैठक के लिए आए थे,मीडिया को देखते ही आननफानन में उठ कर चले गए तथा वहां पर ऑडिट करने आए आगन्तुक अधिकारियों की मेहमान नवाजी के दौरान कथित प्रधान प्रतिनिधि सुभाष ने आकर बताया कि ऑडिट 10 से 12 बजे तक फाइनल कर अधिकारी जा चुके हैं।जब वहां की दीवारों पर देखा गया तो प्रधान अंकित पाल की जगह सुभाष अवस्थी का नाम लिखा पाया गया।मौजूदा प्रधान से जब इस विषय में जानकारी हासिल की गई तो उन्होंने बताया कि मैंने इनको अपना प्रतिनिधि माना है इसलिए विकास कार्यों का सारा जिम्मा यही देखते हैं। कमोबेश सोशल ऑडिट की यह व्यवस्था अधिकारियों की जेबी व्यवस्था तक ही रह गई है।जब कि कई ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें गांव में चल रही सोशल ऑडिट की सूचना के बारे में कुछ अवगत नहीं है।अभी मालूम चला कि पंचायत भवन में प्रधान के कुछ समर्थकों की मीटिंग कर अभी 12 बजे के लगभग गए हैं। ग्रामवासी संतु ने बताया कि साढ़े ग्यारह बजे के लगभग एक कार में बैठे तीन चार लोग गांव से बाहर निकलते पिहानी की ओर जा रहे थे।