मेवाड़ के सलूम्बर ठिकाने के सामन्त रावत रतनसिंह चुंडावत अपनी नवविवाहिता हाडी रानी सहल कंवर के साथ थे, कि तभी महाराणा राजसिंह का संदेश आया कि औरंगज़ेब की सेना से युद्ध होने जा रहा है, शीघ्र प्रस्थान करो।
रावत रतनसिंह चुंडावत महल के द्वार से बाहर निकलने ही वाले थे कि तभी उन्होंने एक सेवक को हाडी रानी के पास भेजकर कहलवाया कि अपनी यादगिरी के रूप में कोई निशानी देवें।
हाडी रानी ने अपना सिर काटकर भिजवा दिया ताकि युद्ध करते समय उनका मन विचलित न हो। रावत चुंडावत ने हाडी रानी के सिर को अपने गले में बांधा और रणभूमि में मुगल सैन्य को परास्त किया।