*प्रत्येक घर तक संस्कृत पहुंचाने के लिए गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना संचालित – विनयश्रीवास्तव*

*प्रत्येक घर तक संस्कृत पहुंचाने के लिए गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना संचालित – विनयश्रीवास्तव*
करमा।
जयप्रकाश वर्मा
सोनभद्र।
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान द्वारा संचालित गृहे-गृहे संस्कृतम् योजना के अन्तर्गत प्रदेश के सभी जनपदों के तत्तत् केंद्रों का सामूहिक उद्घाटन गूगलमीट के माध्यम से हुआ। सत्र के अध्यक्ष एवं संस्थान के निदेशक विनय श्रीवास्तव ने सभी केंद्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि यह योजना एक अश्वमेध यज्ञ के समान है। जिसमें हम सभी संस्कृतसैनिक अपने-अपने सहयोग की आहूतियां दे रहे हैं। गृहे-गृहे संस्कृत कार्ययोजना के माध्यम से प्रत्येक घर तक संस्कृत भाषा को पहुंचाने का पुनीत कार्य संस्कृत प्रशिक्षकों की सहायता से उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान कर रहा है। भाषाविभाग उ.प्र. सरकार और संस्कृत संस्थान साथ में मिलकर संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु नये शिक्षकों को प्रशिक्षित करके उनके सहयोग से संस्कृत भाषाशिक्षण कक्षाएं आयोजित कर रहा है। स्थानीय मोती सिंह इंटर कालेज धौरहरा करमा में गुरुवार को शिक्षण कक्षा का उद्घाटन हुआ। प्रवक्ता ब्रह्मा नन्द त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत भाषा आदि भाषा ही नहीं बल्कि देवताओं की वाणी है ।चारो वेद, महाभारत संस्कृत भाषा से लिए गए हैं।संस्थान के द्वारा एक संस्कृत हेल्प डेस्क पोर्टल भी बनाया जा रहा है। इसी प्रकार संस्थान द्वारा अन्य बहुत सी योजनाएं चलाई जा रही है। केंद्र के प्रमुख श्री सतीश कुमार सिंह ने कहा कि संस्कृत से ही संस्कृति है। वसुधैव कुटुंबकम् ,सर्वे भवन्तु सुखिन: , जननीजन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी जैसी अनेक सूक्तियों तथा मानवकल्याणकारी श्लोकों का अथाह समुद्र है।वर्तमान समय में राष्ट्रीय एकता अखंडता के लिए जन – जन को संस्कृत का ज्ञान होना आवश्यक है। । इसी क्रम में संस्थान के पदाधिकारी प्रशासनिकाधिकारी डॉ दिनेशमिश्र, डॉ.जगदानंद झा, भगवान् सिंह, महेंद्र सिंह, गोपाल सिंह, सुनील सिंह, अलोक सिंह , सुधा सिंह, साधना त्रिपाठी,इत्यादि ने अपने विचार व्यक्त किये।
शिक्षक श्री राकेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि इस प्रकार की कक्षाओं का आयोजन पूरे प्रदेश में हो रहा है। जिसका प्रमुख लक्ष्य है संस्कृत भाषा को जन जन तक पहुंचाना । इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संस्कृत भाषा को सरल माध्यम से लोगों के बीच पहुंचा कर संस्कृत की वैज्ञानिकता, माधुर्यता,सामाजिकता,वर्तमान समय में आवश्यकता तथा दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाले छोटे – छोटे वाक्यों द्वारा परस्पर संस्कृत संभाषण कैसे करें आदि विषयों की भी चर्चा की जायेगी।

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