*अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में अग्निहोत्र यज्ञ की आहुति के साथ लिया पृथ्वी की रक्षा का संकल्प का*

*अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में अग्निहोत्र यज्ञ की आहुति के साथ लिया पृथ्वी की रक्षा का संकल्प का*
आज अक्षय तृतीया के अवसर पर यजुर्वेद में उल्लेखित राज और कर्म के कणों का नाश करने वाले अग्निहोत्र यज्ञ की आहुति का शुभारंभ किया गया ।अक्षय तृतीया के पावन अवसर से शुरू होकर अब प्रत्येक दिन सूर्योदय और सूर्यास्त के सटीक समय पर हवन का आयोजन किया जाएगा।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान नई दिल्ली की डायरेक्टर प्रोफेसर तनुजा मनोज नेसरी ने बताया कि इंस्टिट्यूट में भर्ती सभी मरीजों, आगंतुकों, प्रशिक्षण ले रहे प्रशिक्षु के अच्छे स्वास्थ्य और पूरे समाज और देश के उत्तम स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना हेतु दो चुटकी कच्चे चावल और घी के साथ ,गाय के उपलों से प्रतिदिन सूर्य उदय और सूर्यास्त के समय अग्निहोत्र यज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस प्रकार के आयोजन से एक ओर जहां हमारा जीवमंडल तो स्वस्थ होता ही है सौभाग्य ,स्वास्थ्य और धन की वृद्धि भी लगातार होती है। यज्ञ से उत्पन्न भस्म से पेड़ों और पौधों की उर्वरा शक्ति बढ़ती है और यह यज्ञ मनुष्यता के कल्याण के लिए बने सभी यज्ञ में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान में इस प्रकार के आयोजन की शुरुआत करके वातावरण की शुद्धता, मनुष्यों के स्वास्थ्य और पृथ्वी की रक्षा हेतु सभी को संकल्पित और जागरूक करना है। प्रशिक्षु बच्चों के साथ संस्थान में आज के शुभ दिन पांच पौधों की बेल लगाकर पर्यावरण और पृथ्वी की रक्षा का संकल्प लिया।
अयोजन की प्रभारी डा.तेजस्विनी ने बताया की इस यज्ञ के धुए से जहां एक और वातावरण में नकारात्मक शक्तियों का विनाश होता है और सकारात्मक शक्तियों की उत्पत्ति होती है और यह यज्ञ जीव मंडल के लगभग 10 से 12 किलोमीटर का क्षेत्र प्रभावित करता है इस यज्ञ की के धुए से जहां जीवाणु और कीटाणुओं का नाश होता है वही संस्थान में भर्ती मरीजों के घाव, त्वचा के रोग इत्यादि के लिए अत्यधिक लाभप्रद सिद्ध होता है। वैज्ञानिक रूप से हवा, पानी ,भूमि की शुद्धता पर सकारात्मक प्रभाव प्रभाव पड़ता है।
अक्षय तृतीया के पवित्र दिन के अवसर पर प्राचीन आयुर्वेद शास्त्र से उत्पन्न यह यज्ञ एक पवित्र अनुष्ठान प्रथा है इसके द्वारा वातावरण की शुद्धि होती है इतना ही नहीं इसे करने वाले व्यक्ति की शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि भी होती है।

यज्ञ से वास्तु और पर्यावरण की रक्षा होती है प्रदूषण को ख़त्म करने तथा वायुमंडल को आध्यात्मिक रूप से शुद्ध करने हेतु यज्ञ किया जाना अत्यंत आवश्यक है।
समाजसेवी व भारतीय नागरिक परिषद् की महामंत्री रीना त्रिपाठी ने बताया कि आज पृथ्वी दिवस और अक्षय तृतीया के अवसर पर पृथ्वी में उत्पन्न सभी जीवो के कल्याण तथा पर्यावरण की रक्षा हेतु इस प्रकार के अनुष्ठान का आवाहन किया जाना ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेदा के लिए अध्यात्म और वैज्ञानिकता का मिला-जुला सर्वश्रेष्ठ प्रयास सिद्ध होगा। इससे मनुष्य जीव जंतु और पर्यावरण को लाभ मिलेगा। जब मनुष्य शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे सभी प्रकार के नशे और प्रदूषण से दूर रहेंगे तो निश्चित रूप से मानवता का कल्याण पर्यावरण की रक्षा और पृथ्वी की सुरक्षा अक्षुण्ण रहेगी।
इस यज्ञ में अस्पताल में भर्ती मरीजों काम करने वाले कर्मचारियों, डॉक्टरों ,प्रशिक्षु सभी ने आहुति देकर पूरे पृथ्वी की रक्षा और यहां उपस्थित सभी मरीजों के जल्द स्वस्थ होने और पूरे देश के कल्याण की कामना की।

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