गायत्री महायज्ञ एवं प्रज्ञा पुराण कथा के आयोजन के तृतीय दिवस पर गुरु शिष्य व ईश्वर की महिमा मण्डन का किया गया वर्णन।
ईश्वर व गुरु अपने सभी का ध्यान रखते हैं-आचार्य गौरीश पांडेय
करमा,सोनभद्र (विनोद मिश्र)
अखिल विश्व गायत्री परिवार शान्तिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में कसया कला गांव स्थित जे एस पी महाविद्यालय प्रांगण में आयोजित होने वाले 09 कुंडीय गायत्री महायज्ञ के प्रज्ञा पुराण कथा का आयोजन में तीसरे दिन ईश्वर व गुरु की महिमा का बखान करते हुए शान्ति कुंज हरिद्वार से आये आचार्य गौरीश पांडेय के मृदुल स्वर से किया गया।सर्वप्रथम प्रथम गायत्री मंत्र के साथ प्रज्ञा पुराण के महिमा का बखान करते हुए आचार्य श्री पांडेय ने गायत्री रूपी गंगा में श्रोताओं को डुबकी लगावा। उन्होंने तीसरे दिन के कथा में बताया कि गुरु- शिष्य, ईश्वर -भक्त एक दूसरे के पूरक हैं।क्योंकि उनके लिए अपना पराया के मोह माया में नही फसते ।उन्होंने कहा कि गुरु की पहचान अन्तर का जलवा देखने पर होती है उन्होंने बताया कि गुरु चार प्रकार के होते हैं प्रथम जो मा के गर्भगृह से बाहर निकलने के बाद बच्चे का उचित समय पर देख भाल करती है, दूसरा गुरु मा होती जो निः स्वार्थ भाव से सारे कष्टों झेलते हुए अपने शिशु की भावनाओं को समझते हुए उसे इस धरा पर पहचान देते हुए रहने उठने,बोलने, चलने की शिक्षा प्रदान करती है, तीसरे गुरु जो कलम सरीखे से ज्ञान गंगा में डुबकी लगवाते हैं ,चौथे गुरु कान में मंत्र के माध्यम से जीवन की नैया पार करते हैं।जबकि ईश्वर सदैव अपने भक्तों की राह आसान करते हुए मंजिल पर पहुचाने का काम करते हैं।परंतु मनुष्य ईश्वर की कृपा को अच्छे कार्य होने पर अपना काम बताते हुए उपलब्धि गिनता है। जब कभी बुरा असर होता है तो ईश्वर को दोष देने में तनिक भी देर नही करता।क्योंकि मोह बस मनुष्य अपने कर्तव्य का निर्वहन नही कर पा रहा है, अपने गुरु, ईश्वर ,माता -पिता को यह जानते हुए की इन्होंने अपने जीवन में बहुत कष्ट सहे हैं हमें पाला पोसा फिर भी सदैव दोषारोपण करते नही थकता। उन्होंने बताया कि माता कुंती जीवन में बहुत ज्यादा कष्ट सहे परन्तु कृष्ण को मथुरा जाने के समय और दुःख हो गई, कृष्ण ने जब कारण जानना चाहा तो कुन्ती मा ने बताया कि दुख हमारे लिए अच्छा था क्योंकि ईश्वर रूपी आप हमारे साथ साथ थे अब सुख के दिन आये मेरा बेटा राजा बन गया तो आप मुझे छोड़ कर जाने लगे।इससे अच्छा तो दुःख था जो आप हमारे पास थे।अथार्थ भक्तों को ऐसा होना चाहिए।आचार्य श्री पांडेय ने कथा को आगे बढ़ाते हुए कहा कि कौरवों के कहने पर गंगा पुत्र भीष्म पितामह अपने प्रतिज्ञा में कहा कि कल का दिन पांडवों के मृत्यु का दिन होगा।परंतु कृष्ण ने ऐसा होने नही दिया ।उन्होंने ने पांचाली को आधीरात में ही आशीर्वाद लेने के लिए पितामह भीष्म के पास भेज दिया।जैसे पांचाली पहुँची, पैर पकड़ा बिना देखे ही आशीर्वाद पितामाह ने दे दिया कि सदा सौभाग्यवती भव।जब जुड़ी की आवाज सुनकर आँखे खोला तो सामने पांचाली को देख भौचक रह गए।अथार्थ भगवान कृष्ण के कृपा श्राप मिथ्या हो गया।उन्होंने ने श्रोताओं से अपील किया कि अपने से बड़े नाराज हो अथवा खुश हो हर हाल में प्रातः काल चरण स्पर्श करें।इससे एक अलग की एनर्जी मिलती है क्योंकि विज्ञान भी इसकी पुष्टि करता है। इस दौरान प्रज्ञा पुराण में सम्मिलित होने के लिए उत्साहित नारी शक्ति यज्ञ स्थल पर उपास्थित अधिक मात्रा में रही। शांतिकुंज से आई विद्वत् टोली ने वैदिक कथाओं से लोगों को भगवत भजन संध्या के माध्यम से बीच बीच गायत्री माता रूपी गंगा में डुबकियां लगवाते रहे ।मुख्य डॉ0प्रसन्न पटेल स पत्नी गायत्री देवी का पूजन अर्चन कर, आचार्य गौरीश पांडेय कथावाचक का माल्यार्पण कर स्वागत किया।गायत्री शक्तिपीठ के मुख्य संरक्षक बासुदेव यादव तथा वंश नारायण लालता प्रसाद ने बताया कि आज से 12 अप्रैल तक प्रतिदिन प्रातः 7 बजे एक बजे अपराह्न तक गायत्री महायज्ञ एवं विविध मुण्डल, विद्या, नामकरण संस्कार किया जायेगा तथा सायं 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक संगीतमय कथा,प्रवचन एवं आरती का आयोजन किया जाएगा ,12 अप्रैल को यज्ञ की पूर्णाहुति के बाद भव्य भंडारे का भी आयोजन किया जाएगा। कथा के समय क्षेत्र के सम्भ्रांत जन में चिंतामणि मिश्र, रमाकान्त मिश्र, पारस नाथ सिंह, डॉ प्रसन्न पटेल,उमाकान्त मिश्र संदीप मिश्र, जोखन सिंह, ऋषि केश,उत्तकर्ष मिश्र, विजय पटेल, संजय सिंह, शशिकांत मिश्र, गुलाब भारती,इंदर सिंह, जयप्रकाश वर्मा, अभिमन्यू सिंह,गर्वमेंट सिंह, राकेश सिंह,डॉ संजय सिंह प्रचार्य जे एस पी महाविद्यालय, डॉ रतन लाल सिंह चिफप्राक्टर,दिलीप पटेल, इंद्रेश कुमार यादव, कृष्ण मुरारि मौर्य सहित आदि हजारो लोग उपस्थित रहे।