पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के बढ़ते प्रभाव पर यह कहना है बृजेश शुक्ला का, जो वरिष्ठ पत्रकार हैं। पूरी बात सुनते हैं कुछ देर में, उससे पहले एक नज़र आज की ताजा खबर पर।देखिए, एक हिसाब से आपको लग सकता है कि खाप के जुड़ने से ये आंदोलन बहुत बलशाली हो गया है और एक देखने में लगता भी है कि खापों के जुड़ने से ये आंदोलन काफी ताकतवर हो गया है। लेकिन मेरा मानना दूसरा है। किसान आंदोलन को किसान आंदोलन की तरह चलाया जाना चाहिए। खाप जातीय आधार पर बनी थीं। जब इसमें खाप जुड़ती हैं तो अन्य जातियां इससे पीछे होती हैं।’
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन के बढ़ते प्रभाव पर यह कहना है बृजेश शुक्ला का, जो वरिष्ठ पत्रकार हैं। पूरी बात सुनते हैं कुछ देर में, उससे पहले एक नज़र आज की ताजा खबर पर रिपोर्टर उमेश कुमार